scorecardresearch
 
Advertisement
ट्रेंडिंग

हमेशा के लिए खत्म हो गई धरती की ये बर्फीली परत, प्रदूषण से हुई तबाही पर बड़ा खुलासा

Earth has lost 28 trillion tonnes of ice
  • 1/8

हमारी धरती बुरे हाल में है. बढ़ते प्रदूषण की वजह ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है. जिसका असर धरती के हर कोने पर पड़ रहा है. इसी नतीजा ये है कि धरती के वो कोने भी अब पिघल रहे हैं जहां कभी बर्फ के बड़े-बड़े पहाड़ हुआ करते थे. पिछले 26 साल में धरती से 28 ट्रिलियन टन बर्फ खत्म हो चुकी है. यानी 28,000,000,000,000,000 किलोग्राम बर्फ खत्म हो चुकी है. (फोटोः नॉर्थ पोल एक्सपेडिशन)

Earth has lost 28 trillion tonnes of ice
  • 2/8

ब्रिटिश वैज्ञानिकों की एक टीम ने अध्ययन कर यह खुलासा किया है. इस टीम की रिपोर्ट के मुताबिक साल 1994 से लेकर अब तक 28 ट्रिलियन टन बर्फ खत्म हो चुकी है. वैज्ञानिकों ने इस अध्ययन के लिए सैटेलाइट इमेज, पोल्स के बर्फ की डिटेल, पहाड़ों और ग्लेशियरों पर जमे बर्फ का डाटा लेकर उसका विश्लेषण किया. अध्ययन में पता चला कि बढ़ते हुए वैश्विक तापमान की वजह से बर्फ तेजी से पिघल रही है. (फोटोः नॉर्थ पोल एक्सपेडिशन)

Earth has lost 28 trillion tonnes of ice
  • 3/8

वैज्ञानिकों की यह रिपोर्ट क्रायोस्फेयर डिस्कशंस नाम की साइंस मैगजीन में प्रकाशित हुई है. अगर इसी तरह से बर्फ तेजी से पिघलती रहेगी तो धरती सूर्य की रोशनी को रिफलेक्ट नहीं कर पाएगा. जिससे सूरज की अल्ट्रवायलेट किरणों के जमावड़े से धरती पर रहने वाले जीव-जंतुओं को नुकसान होगा. सोलर रेडिएशन को वापस भेजने में ये बर्फ बहुत मदद करती है. लेकिन बर्फ ही नहीं रहेगी तो सोलर रेडिएशन से हमें कौन बचाएगा. (फोटोः रॉयटर्स)

Advertisement
Earth has lost 28 trillion tonnes of ice
  • 4/8

सिर्फ इतना ही नहीं, सोलर रेडिएशन के अलावा दूसरी मुसीबत है समुद्रों का जलस्तर बढ़ना. जितनी ज्यादा बर्फ पिघलेगी, उतना ज्यादा समुद्र का जलस्तर बढ़ेगा. जिसकी वजह से कई देश और द्वीप पानी में डूब जाएंगे. अगर इसी दर से बर्फ पिघलती रही तो इस सदी के अंत तक दुनिया भर के समुद्रों का जलस्तर करीब तीन फीट बढ़ जाएगा. सिर्फ इतने इजाफे से ही कई समुद्री देश और द्वीप डूब जाएंगे. (फोटोः रॉयटर्स)

Earth has lost 28 trillion tonnes of ice
  • 5/8

लीड्स यूनिवर्सिटी के सेंटर ऑफ पोलर ऑब्जरवेशन एंड मॉडलिंग के निदेशक प्रो. एंडी शेफर्ड ने बताया कि बर्फ पिघलने से समुद्र का जलस्तर बढ़ना तय है. समुद्र का जलस्तर अगर एक सेंटीमीटर ऊपर आता है तो उसका असर किसी भी देश के निचले इलाकों में रह रहे 10 लाख लोगों पर सीधे पड़ता है. ऐसी हालत में इन लोगों को विस्थापित करने की जरूरत पड़ सकती है. (फोटोः रॉयटर्स)

Earth has lost 28 trillion tonnes of ice
  • 6/8

इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि उत्तरी गोलार्द्ध से 60 फीसदी और दक्षिणी गोलार्द्ध से 40 फीसदी बर्फ पिघली है. 1990 से लेकर अब तक बर्फ पिघलने की दर बढ़कर 57 फीसदी हो गई है. 1990 में यह 0.8 ट्रिलियन टन प्रति वर्ष थी. जो अब बढ़कर 1.2 ट्रिलियन टन प्रति वर्ष हो गई है. (फोटोः रॉयटर्स)

Earth has lost 28 trillion tonnes of ice
  • 7/8

इस रिपोर्ट के नतीजे संयुक्त राष्ट्र की संस्था इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (UN - IPCC) की रिपोर्ट से मिलती है. पहले वैज्ञानिक सिर्फ ध्रुवीय इलाकों की पिघलती बर्फ का अध्ययन करते थे. लेकिन ये पहली बार कि पूरी दुनिया की पिघलती बर्फ की स्टडी की गई है. जब इसके नतीजे आए तो वो चौंकाने वाले थे. (फोटोः एएफपी)

Earth has lost 28 trillion tonnes of ice
  • 8/8

हर साल अलग-अलग देशों और इलाकों में जो बर्फबारी होती है. उससे पिघलती बर्फ की कमी पूरी नहीं हो पाएगी. क्योंकि साल में इतनी बर्फबारी नहीं होती जितनी ज्यादा बर्फ पिघल जाती है. इसके लिए सभी देशों को मिलकर ग्लोबल वार्मिंग के स्तर को कम करना होगा. क्लाइमेट चेंज की प्रक्रिया को रोकना होगा. नहीं तो हमें सूरज की ताप और बढ़ते समद्री जलस्तर से कोई नहीं बचा पाएगा. (फोटोः रॉयटर्स)

Advertisement
Advertisement