तमिलनाडु में अगरबत्ती बेचकर गुजारा करने वाले नेत्रहीन (जिन्हें दिखाई नहीं देता) दंपति को उस वक्त करारा झटका लगा, जब उन्हें बैंक जाकर पता चला कि जो पाई-पाई जोड़कर उन्होंने अपनी पूंजी बनाई थी वो रद्दी हो चुकी है. अब इस गरीब और लाचार दंपत्ति की मदद के लिए खुद जिला कलेक्टर आगे आए हैं. (सभी तस्वीरें सांकेतिक हैं)
इरोड के कलेक्टर ने अपनी निजी आमदनी से इस दंपत्ति को 25 हजार रुपये की मदद दी है. उन्होंने दोनों पति-पत्नी को चेक सौंपा. दरअसल पोठिया मोपानुरे गांव के सोमू (58) अपनी पत्नी के साथ घूम-घूम कर अगरबत्ती और कपूर बेचा करते थे. इसी के जरिए उन्होंने पाई-पाई जोड़कर 10 सालों में 24 हजार रुपये अपने घर में जमा किए. ये सभी नोट 500 और 1000 हजार रुपये के थे. साल 2016 में सरकार ने नोटबंदी की थी, जिसमें ये नोट अमान्य हो गए थे.
जब वो हाल में लॉकडाउन के बाद बीते दिनों उन पैसों को बैंक में जमा कराने पहुंचे तो उन्हें यह जानकर झटका लगा कि जिसे वो अपनी जीवन भर की कमाई समझ रहे थे असल में वो साल 2016 में ही रद्दी हो चुकी थी क्योंकि नोटबंदी के बाद इन्हें अमान्य घोषित कर दिया गया था. इस दंपत्ति ने दावा किया था कि उन्हें नोटबंदी के बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी.
यह दंपति पोथियामोआपुर में एक छोटे से घर में रहते हैं. सोमू नेत्रहीन हैं और उसकी पत्नी शारीरिक रूप से अक्षम है. दंपति के बच्चे नहीं हैं और वे अगरबत्ती और कपूर बेचकर गुजारा करते हैं.
इस दंपत्ति ने कहा था कि उनके पास टीवी, रेडियो कुछ नहीं है जिसकी वजह से उन्हें नोटबंदी की जानकारी नहीं मिल पाई. इस बात की जानकारी होने के बाद कलेक्टर ने अपनी निजी आमदनी से इस दंपत्ति की मदद की और 25 हजार रुपये का चेक दिया.