किसान अक्सर अपने काम में जुटे रहते हैं. फ्रांस के एक किसान ने ऐसा कुछ कर डाला कि वह ना केवल दुनियाभर में चर्चा का विषय बन गया बल्कि उसके कार्य से दो देशों की सीमा ही बदल गई. आश्चर्य की बात ये है कि किसान को इस बात का पता भी नहीं चल पाया.
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दरअसल, सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला फ्रांस-बेल्जियम की सीमा का है और बेल्जियम के एक किसान ने यह गलती की है. बेल्जियम के इस किसान के रास्ते में एक पत्थर पड़ता था, किसान ने उस पत्थर को वहां से खिसकाकर दूर कर दिया. जबकि ये पत्थर फ्रांस और बेल्जियम की सीमा निर्धारित करने वाला पत्थर निकला.
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किसान ने पत्थर को जिस इलाके में खिसकाया वो फ्रांसीसी इलाका था यानि किसान ने फ्रांस की जमीन को कम कर दिया और बेल्जियम की जमीन को बड़ा कर दिया. किसान ने पत्थर को उसकी जगह से करीब आठ फीट अंदर की तरफ खिसका दिया था.
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इस मामले का खुलासा तब हुआ जब एक स्थानीय इतिहासविद ने जंगल में घूमते हुए ये नोटिस किया कि दोनों देशों की सीमा को चिन्हित करने वाला पत्थर खिसका हुआ है. उसी ने अधिकारियों को भी सूचित किया. इसके बाद वहां अधिकारियों को जमावड़ा लग गया.
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रिपोर्ट के मुताबिक, बताया जा रहा है कि बेल्जियम के इस किसान ने यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि यह पत्थर उसके ट्रैक्टर के रास्ते में आता था. इस वजह से वह अक्सर इस पत्थर पर को लेकर नाराज रहता था और आखिरकार उसने इसे अपने रास्ते से हटा दिया.
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दुनियाभर में चर्चा बनी इस घटना के बाद दोनों देशों का आधिकारिक बयान भी सामने आया. बेल्जियम के उस स्थानीय जगह एरक्वेलाइन्स के मेयर डेविड लावॉक्स ने मुस्कुराते हुए बताया कि उस किसान ने बेल्जियम को बड़ा और फ़्रांस को छोटा बना दिया. ये अच्छा आइडिया नहीं है. मैं तो खुश था क्योंकि मेरा शहर बड़ा हो गया था.
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उधर फ्रांस के स्थानीय मेयर ने कहा कि हम एक नए सीमा युद्ध से बचने में सफल हो जाएंगे और जल्द ही इस मामले का समाधान निकाला हालांकि रिपोर्ट के अनुसार बेल्जियम के स्थानीय अधिकारियों की योजना है कि वे उस किसान से कहेंगे कि वो उस पत्थर को उसकी पुरानी जगह पर रख दें.
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बेल्जियम के स्थानीय अधिकारियों ने यह भी बताया कि अगर किसान ने बात नहीं मानी तो उसके खिलाफ एक्शन भी लिया जा सकता है. साथ ही, मामला बेल्जियम के विदेश मंत्रालय में भी जा सकता है, जिसे 1930 के बाद से निष्क्रिय पड़े फ्रैंको-बेल्जियम सीमा आयोग को तलब करना होगा.
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बता दें कि दोनों देशों के बीच करीब 620 किलोमीटर की सीमा है. वाटरलू में नेपोलियन की हार के बाद 1820 में यह सीमा निर्धारित हुई थी. जिस पत्थर को किसान ने हटाया है, उसे 1819 में स्थापित किया गया था.
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