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कोरोना के डर से लाखों रुपये की मछलियों को मिट्टी में दफनाया

कोरोना के डर से लाखों रुपये की मछलियों को मिट्टी में दफनाया
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कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में दहशत का माहौल है. भारत में भी कोरोना वायरस को लेकर डर का माहौल है. वहीं कोरोना वायरस के तार चीन के वुहान के मीट मार्केट से जुड़े होने का अनुमान लगाया जा रहा था. इस वजह इस अफवाह का भी बाजार काफी गर्म कि चिकन खाने से भी कोरोना वायरस फैल सकता है. जिसकी वजह से इसका असर देश के कई शहरों के मीट मार्केट पर पड़ा है.
कोरोना के डर से लाखों रुपये की मछलियों को मिट्टी में दफनाया
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ऐसा ही एक मामला हिमाचल प्रदेश से सामने आया है जहां भाखड़ा डैम और गोविंद सागर झील में पैदा होने वाली लाखों रुपये की मछलियों को कोरोना वायरस के चलते गड्ढा कर मिट्टी में दफना दिया गया.
कोरोना के डर से लाखों रुपये की मछलियों को मिट्टी में दफनाया
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बताया जा रहा है कि इस नस्ल मछली को पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के लोग काफी पंसद करते हैं. कोरोना वायरस की वजह से लोगों ने मीट मंडी में खरीदारी करना कम कर दिया जिसकी वजह से मछलियां बाहरी राज्य को सप्लाई नहीं हुई. इसके बाद स्थानीय ठेकेदारों ने क्विंटल के हिसाब से मछलियों को मिट्टी में दबा देने का फैसला किया.
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कोरोना के डर से लाखों रुपये की मछलियों को मिट्टी में दफनाया
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कोरोना वायरस की वजह से हिमाचल प्रदेश के लगभग 15000 मछुआरों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है. कोरोना वायरस की महामारी के चलते हिमाचल प्रदेश में मछली पालन, मुर्गी पालन व्यवसाय पूरी तरह ठप हो चुका है.
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मछली व्यवसायियों को आर्थिक तौर पर लाखों रुपये का नुकसान हुआ है. वहीं मछुवारा वर्ग के लिए अब रोजी-रोटी के लाले पड़ने शुरू हो गए हैं. मछली व्यवसाय से जुड़े लोगों ने सरकार से मांग की है कि मछली व्यवसाय से जुड़े वर्ग के प्रति सहायता प्रदान की जाए. साथ ही विशेष पैकेज भी दिया जाए. इसके अलावा उन्होंने ने यह भी मांग की है कि मछली व्यवसायियों को आर्थिक तौर पर पहुंचे नुकसान की भरपाई की जाए.
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