भीमा कोरेगांव में भड़की हिंसा के खिलाफ आज पूरे महाराष्ट्र में दलित संगठनों ने बंद का ऐलान किया है. बताया जा रहा है हिंसा भड़कने की असली वजह दलित गणपति महार का समाधि स्थल है. जिसे कथित तौर पर हिंदुत्ववादी संगठन से जुड़े लोगों ने 29 दिसंबर को क्षतिग्रस्त कर दिया था.
दरअसल, दलित समुदाय के गणपत महार वही शख्स हैं, जिन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे सांभाजी राजे का अंतिम संस्कार किया था. हालांकि, इसे लेकर भी इतिहासकारों के अलग-अलग तर्क हैं.
कुछ इतिहासकारों के मुताबिक, औरंगजेब ने संभाजी को छल से कैद कर हत्या कर दी थी. इसके बाद उनके शव के टुकड़े-टुकड़े कर दिए थे. औरंगजेब के डर से मराठाओं ने उनके शव का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया था.
तब गणपत महार नाम का दलित आगे आया और सांभाजी राजे का अंतिम संस्कार किया. उसने अपने हाथों से संभाजी के लिए समाधि बनाई. आज भी यह समाधि महार नाम के गांव में मौजूद है. बताया जाता है कि गणपत की मौत के बाद उसकी भी समाधि संभाजी राजे की समाधि के नजदीक बनाई गई.
वहीं, कुछ इतिहासकारों की राय गणपत महार को लेकर अलग है. उनका मानना है कि संभाजी राजे के शरीर के टुकड़े होने के बाद कुछ मराठाओं ने ही उनके शरीर को सिला था और उनका अंतिम संस्कार भीमा नदी के तट पर किया था.
कुछ हिंदुत्व संगठन गणपत महार का नाम संभाजी राजे से जोड़ने की बात को खारिज करते हैं. वहीं दलित संगठन गणपत महार के समर्पण को सही मानते हैं. इसी मुद्दे को लेकर पिछले कई वर्षों से मराठा और दलितों के बीच विवाद चल रहा है. वधु बुदुर्क स्थित गणपत महार की प्रतिमा को क्षतिग्रस्त करने के मामले में 49 लोगों पर मामला दर्ज किया गया है.