हम इंसानों के शरीर में 50 करोड़ साल पुराने समुद्री जीव का जीन्स (Genes) आज भी मौजूद है. ये जीव प्राचीन समुद्रों में रहते थे. ये जीव पत्तों, टीयरड्रॉप्स, रस्सी के घुमावदार आकृतियों जैसे दिखाई देते थे. जबकि, माना जाता है कि उस समय के ज्यादातर समुद्री जीव ऐसे नहीं दिखते थे. वैज्ञानिक इसे समुद्री शैतान का नाम दे रहे हैं. एक नई स्टडी में यह खुलासा हुआ है. आइए जानते हैं कि इस जीव का क्या नाम था? कैसे इसके जीन्स इंसानों के शरीर में आए? (फोटोःगेटी)
इस स्टडी में बताया गया है कि धरती के शुरुआती दिनों में यानी प्रिमिटिव समय के जीवों के शरीर के आकार, सेंसरी ऑर्गन्स, इम्यून सिस्टम के जेनेटिक कोड आज भी धरती पर अलग-अलग जीवों में मौजूद हैं. इस स्टडी में जिस समय के जीव का जिक्र किया गया है वो एडियाकरन (Ediacaran Era) समय का था. ये जीव समुद्रों की सतह पर चिपके रहते थे. समुद्री सतह को खोदकर खाना-पीना करते थे. (फोटोःगेटी)
इन समुद्री जीवों की खासियत ये थी कि ये आकार बदलने वाले रेंजियोमॉर्फ्स (Rangeomorphs) कहे जाते थे. यानी कई सालों तक साइंटिस्ट इस बात को लेकर परेशान थे कि इन्हें पत्ता कहें या जीव. इसके रूप बदलने की शैतानी की वजह से ही इसे समुद्री शैतान कहा जाता है. इंसानों के अंदर समुद्री शैतान का जीन्स है ये खुलासा किया है वर्जिनिया टेक के शोधकर्ता स्कॉट इवांस ने. (फोटोःगेटी)
स्कॉट ने बताया कि ये बेहद विचित्र जीव थे. न तो किसी जानवर की तरह दिखते थे न ही मछलियों की तरह. ये पत्तों जैसे, टीयरड्रॉप्स और रस्सी के घुमाव की तरह दिखाई देते थे. उस समय के समुद्री जीव ज्यादातर साधारण होते थे. इन रेंजियोमॉर्फ्स (Rangeomorphs) ने खुद को इतना विकसित कर लिया था कि पहले बहुकोशिका वाले जीव थे. ये वर्तमान जीवों के पूर्वज बन गए. (फोटोःगेटी)
Actus Mer/Sea News: Genes of 500 million-year-old sea monsters live inside us - @LiveScience https://t.co/TgbX80y4Wf pic.twitter.com/a66bqWv9dD
— Jerome OLLIER (@JeromeOLLIER) March 23, 2021
इन जीवों की विचित्रतता और अलग तरह के आकार की वजह से वैज्ञानिक इन्हें किसी कैटेगरी में नहीं डाल पाए. स्कॉट के साथ कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में जियोलॉजी की प्रोफेसर मैरी ड्रोसेर और वॉशिगंटन स्थित नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के रिसर्च बायोलॉजिस्ट डगलस इरविन ने एडियाकरन समय के 40 प्रजातियों में से 4 जीवों के जेनेटिक्स की जांच की. इन प्रजातियों के फॉसिल ऑस्ट्रेलिया और उसके आसपास मिले थे. (फोटोःगेटी)
ये चार जीव हैं- अंडाकार दिखने वाले डिकिनसोनिया (Dickinsonia), आंसू के बूंद जैसे दिखने वाले किंब्रेला (Kimberella), एकदम न हिलने वाले पहिए की आकृति के ट्राईब्रैचिडियम (Tribrachidium) और केंचुएं जैसे दिखने वाले इकारिया (Ikaria). एडियाकरन समय के ये चारों जीव आज के कई जीवों से मिलते-जुलते हैं. (फोटोःगेटी)
इन चारों जीवों के न तो सिर थे. न ही पैर. लेकिन इनमें आज के जीवों के तरह कुछ खास तरह के सामान्य फीचर्स थे. जैसे इनमें से तीन जीव बाएं से दाएं की तरफ संतुलिस सिमेट्री में थे. इनके शरीर अलग-अलग हिस्सों में बंटे थे. आज ये संभव नहीं है कि इन जीवों का जेनेटिक मेकअप किया जा सके लेकिन सिमिट्री और शरीर के हिस्सों का विभाजन इन्हें वर्तमान जीवों से मिलाता है. (फोटोःगेटी)
स्कॉट ने बताया कि इन चारों जीवों में अत्यधिक उच्च सत्र के जीन्स थे. जो इनके तंत्रिका तंत्र यानी नर्वस सिस्टम का नियंत्रण रखते थे. यानी इनमें रेग्यूलेटरी जीन्स (Regulatory Genes) मौजूद थे. ये रेग्यूलेटरी जीन्स ही शरीर के अन्य जीन्स को अलग-अलग तरह के कामों के लिए संदेश देते हैं. रेग्यूलेटरी जीन्स ही शरीर के विकास के समय ये बताता है कि आंखें कहां होंगी. शरीर के बाकी हिस्से कहां होंगे. (फोटोःगेटी)
डिकिनसोनिया (Dickinsonia) का जेनेटिक ढांचा धरती पर इस समय मौजूद कई जीवों से मिलता है. क्योंकि उसके शरीर में एक सिमिट्री थी, जो एक खास तरह के रेग्यूलेटरी जीन्स से निर्धारित होती थी. आज भी कई जीवों में रेग्यूलेटरी जीन्स ही शरीर की सिमिट्री यानी संतुलन को बनाती हैं. हैरानी की बात ये है कि 50 करोड़ साल पुराने समुद्री जीवों का जेनेटिक पैटर्न आज भी इंसानों और अन्य जीवों में मिल रहा है. (फोटोःगेटी)
इस स्टडी को प्रोसिडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी बी (Proceedings of the Royal Society B) में प्रकाशित किया गया है. इसमें बताया गया है कि वैज्ञानिकों ने बेहद जटिल जीन्स का अध्ययन किया है जो नर्वस सिस्टम और मांसपेशियां बनाते हैं. ऐसे जीन्स इन चारों समुद्री जीवों में मौजूद थे और आज के जीव-जंतुओं में भी पाए जाते हैं. (फोटोःगेटी)