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ये विदेशी नहीं, दक्षिण भारत की इंद्रधनुषी गिलहरी है, लगाती है 20 फीट लंबी छलांग

Giant Indian Multicolor Squirrels
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कर्नाटक की कावेरी वैली में एक डैम बनाने का प्रस्ताव है. इस प्रोजेक्ट का नाम है मेकेदातू प्रोजेक्ट. इस डैम के बनने से बेंगलुरु शहर में पानी की किल्लत और बाढ़ की समस्या से छुटकारा मिल जाएगा लेकिन इसकी वजह से चार प्रजातियों के जीवों पर खतरा है. इनमें सबसे प्यारा जीव इंद्रधनुषी रंगों वाली गिलहरी है. इस गिलहरी को कई नामों से बुलाया जाता है. ये दक्षिण भारत के जंगलों में दिखती है. आइए जानते हैं इस प्यारी सी गिलहरी के बारे में... 

Giant Indian Multicolor Squirrels
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कई रंगों वाली इस गिलहरी का नाम है मालाबार जायंट गिलहरी (Malabar Giant Squirrel). इसे इंडियन जायंट गिलहरी (Indian Giant Squirrel), इंद्रधनुषी गिलहरी (Rainbow Squirrel) नाम से भी जाना जाता है. लेकिन इसका बायोलॉजिकल नाम है राटुफा इंडिका (Ratufa indica). (फोटोःगेटी)

Giant Indian Multicolor Squirrels
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इस गिलहरी की कुल लंबाई यानी सिर से पूंछ तक करीब तीन फीट तक होती है. इसके शरीर पर आपको काला, भूरा, पीला, नीला, लाल, नारंगी कई रंग दिखेंगे. ये एक पेड़ से दूसरे पेड़ के बीच लंबी-लंबी छलांग लगाकर भागती है. कई बार तो यह 20 फीट से ज्यादा दूरी तक छलांग लगा सकती है. यह पूरी तरह से शाकाहारी होती है. ये फल, फूल, नट्स और पेड़ों की छाल खाती हैं. इन गिलहरियों में से कुछ उप-प्रजातियां शाकाहार के साथ-साथ कीड़े और चिड़ियों के अंडे भी खाती हैं. (फोटोःगेटी)

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मालाबार जायंट गिलहरी (Malabar Giant Squirrel) आमतौर पर सुबह और शाम के समय सक्रिय रहती है. दिन में सोती है. इन गिलहरियों की खास बात ये है कि ये इनके नर और मादा आपस में सिर्फ संभोग करने के लिए ही मिलते हैं. इसके अलावा ये एकसाथ नहीं रहते. इस तरह के जीवों का ऐसा व्यवहार इसे बाकी गिलहरियों से अलग करता है. (फोटोःगेटी)

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भारत में राटुफा इंडिका (Ratufa indica) की चार उप-प्रजातियां (Sub-Species) हैं. पहली राटुफा इंडिका, दूसरी राटुफा इंडिका सेंट्रालिस (Ratufa indica Centralis), तीसरी राटुफा इंडिका डीलबाटा (Ratufa indica dealbata) और चौथी राटुफा इंडिका मैक्सिमा (Ratufa indica maxima). ये चारों भारत के अलग-अलग हिस्सों में पाए जाते हैं. इनका रंग और आकार इनके इलाके के अनुसार अलग होता है. (फोटोःगेटी)

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राटुफा इंडिका (Ratufa indica) मुंबई से कर्नाटक तक उत्तरी और मध्य वेस्टर्न घाट में मिलते हैं. राटुफा इंडिका सेंट्रालिस (Ratufa indica Centralis) मध्य और पूर्व भारत में मिलते हैं. ये सतपुड़ा के जंगलों में और ईस्टर्न घाट में मिलते हैं. राटुफा इंडिका डीलबाटा (Ratufa indica dealbata) दक्षिणी गुजरात के इलाकों में देखी गई हैं. राटुफा इंडिका मैक्सिमा (Ratufa indica maxima) वेस्टर्न घाट के दक्षिणी इलाके में दिखती हैं. ये आमतौर पर केरल और तमिलनाडु में दिखाई देती हैं. (फोटोःगेटी)

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इस गिलहरी की लंबाई अधिकतम तीन फीट और औसत डेढ़ फीट होती है. इनका वजन कम से कम पौने दो किलो और अधिकतम सवा दो किलोग्राम के आसपास होता है. ये गिलहरियां आमतौर पर समुद्र तल से 590 फीट से लेकर 7550 फीट की ऊंचाई पर मौजूद जंगलों में रहती हैं. मालाबार जायंट गिलहरी (Malabar Giant Squirrel) आमतौर पर 36 फीट से ऊंचे पेड़ों पर रहती हैं ताकि वो शिकार होने से बच पाएं. (फोटोःगेटी)

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ऐसा नहीं है कि ऐसी गिलहरियां सिर्फ भारत में पाई जाती हैं. इसी तरह की गिलहरियां पूर्वी अमेरिका में भी पाई जाती हैं. इसके अलावा थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, श्रीलंका और इंडोनेशिया में भी मिलती हैं. इनके एक काले और सफेद रंग की प्रजाति चीन के कुछ हिस्सों में भी मिलती हैं. (फोटोःगेटी)

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इन गिलहरियों का शिकार तेंदुए, लायन टेल्ड मकाउ बंदर, बाज, उल्लू, सांप करते हैं. भारतीय जायंट गिलहरी में इतने रंग इसलिए होते हैं ताकि ये जंगलों में खुद को शिकार होने से बचा सकें. ये छिप सकें. (फोटोःगेटी)

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मालाबार जायंट गिलहरी (Malabar Giant Squirrel) को महाराष्ट्र में राजकीय जीव का दर्जा हासिल है. इसे मराठी भाषा में शेकारू कहते हैं. ये गिलहरी अपने घोसले ऊंचे पेड़ों पर छोटी टहनियों और पत्तियों से बनाती हैं. (फोटोःगेटी)

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