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सामने आया देश के सबसे बड़े डिटेंशन सेंटर का सच, 7 फुटबॉल ग्राउंड से बड़ा

सामने आया देश के सबसे बड़े डिटेंशन सेंटर का सच, 7 फुटबॉल ग्राउंड से बड़ा
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नागरिकता कानून और एनआरसी पर संसद से सड़क तक संग्राम छिड़ा है. हंगामा, जुबानी जंग के साथ ही सरकार के विरोध में ह‍िंसक माहौल भी देखने को म‍िला. विपक्ष भी हमलावर है और आरोपों के गोले केंद्र सरकार पर लगातार दाग रहा है. नागर‍िकता साब‍ित नहीं करने पर उन्हें देश में बन रहे ड‍िटेंशन सेंटर में भेजा जाएगा. ड‍िटेंशन सेंटर को लेकर भी भ्रम की स्थ‍ित‍ि बनी हुई है.
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एनआरसी से घुसपैठियों की पहचान करने के बाद उन्हें डिटेंशन सेंटर में भेजे जाने की बात सामने आने के बाद सरकार ने दावा किया कि देश में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है. लेकिन आजतक की ग्राउंड रिपोर्ट में कुछ और ही सच सामने आया है. (फोटो-Tapas Bairy)
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असम के ग्वालपाड़ा जिले के मटिया में पहले डिटेंशन सेंटर (हिरासत केंद्र) का निर्माण कार्य चल रहा है. यह जगह गुवाहाटी से 129 क‍िलोमीटर की दूरी पर है. यहां बाकायदा इसका बोर्ड भी लगा हुआ. इस सेंटर का करीब 65 फीसद हिस्सा अब तक बनकर तैयार हो चुका है. मटिया में आबादी से दूर ढाई हेक्टेयर में बन रहे डिटेंशन सेंटर का काम दिसंबर 2018 से चल रहा है. इसे दिसंबर 2019 तक बन जाना था लेकिन अब बारिश और बाढ़ के कारण इसमें देरी हो गई. (फोटो-Tapas Bairy)
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इसको लेकर ठेकेदार चंदन कलिता का कहना है कि बारिश के कारण डिटेंशन सेंटर बनने में देरी हुई है. बारिश के चलते इमारत निर्माण के लिए जरूरी मटीरियल ले जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. वहीं, आज तक की ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आया कि मटिया डिटेंशन सेंटर में चार-चार मंजिलों वाली 15 इमारतें बन रही हैं. इनमें 13 इमारतें पुरुषों और 2 महिलाओं के लिए बन रही है. इस कैंपस में स्कूल और अस्पताल भी बन रहा है ताकि नागरिकता साबित न करने वालों को मूलभूत सुविधाएं तो मिल सकें. (फोटो-Tapas Bairy)

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बता दें कि असम में डिटेंशन सेंटर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तैयार हो रहा है. मटिया में डिटेंशन सेंटर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन्स के मुताबिक बन रहा है. मटिया डिटेंशन सेंटर को 46 करोड़ रुपए के खर्च पर बनाया जा रहा है. इसमें 3000 घुसपैठियों या विदेशी नागरिकों को रखा जा सकेगा. हालांकि डिटेंशन सेंटर में कौन रहेगा, इसका फैसला एनआरसी के बाद ही हो पाएगा जिसे लेकर अभी से सियासी घमासान छिड़ा है. (फोटो-Tapas Bairy)
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वहीं, ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आया कि असम में पहले से कई डिटेंशन सेंटर मौजूद हैं. आजतक की टीम उन लोगों से मिली जो इन डिटेंशन सेंटर में सालों बीता चुके हैं. डिटेंशन सेंटर से लौटे शख्स सुधन सरकार ने बताया, 'जिस जगह मुझे लेकर गए थे वो जगह नरक थी. इंसानों की तरह वहां सलूक नहीं किया गया था. साढ़े तीन साल मैं वहीं था. बिल्कुल पागल सा हो गया था. बाहर कहीं जा नहीं सकते थे. क्या करें, क्या न करें...परिवार की कोई खबर नहीं मिल पाती थी.' (फोटो-Tapas Bairy)
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दरअसल, असम के मटिया में पहला डिटेंशन सेंटर तैयार हो ही रहा है. लेकिन यहां के कई जिलों में मौजूदा जेल को भी डिटेंशन सेंटर के तौर पर इस्तेमाल किया जाता रहा है. सूत्रों के मुताबिक असम में डिब्रूगढ़, सिलचर, तेजपुर, जोरहाट, कोकराझार और ग्वालपाड़ा में जेलों को ही डिटेंशन सेंटर बनाया गया है. (फोटो-Tapas Bairy)

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जेलों को डिटेंशन सेंटर बनाने का फैसला 2009 में कांग्रेस सरकार ने लिया था. उस वक्त केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी. पी चिंदबरम गृह मंत्री थे और राज्य की कमान तरूण गोगोई के हाथ में थी. उस वक्त की सरकार ने घुसपैठियों की लिस्ट को लेकर कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था. घुसपैठिए गायब न हो जाए इस वजह से इन्हें डिटेंशन सेंटर में रखा गया था. (फोटो-Tapas Bairy)
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सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, असम में 1985 से लेकर इस साल अक्टूबर तक एक लाख 29 हजार लोगों को विदेशी घोषित किया गया है लेकिन इनमें करीब 72 हजार लोगों का कोई पता-ठिकाना नहीं है. जबकि असम एनआरसी की लिस्ट से 19 लाख लोगों को बाहर रखा गया है. (फोटो-Tapas Bairy)
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