पांच दिनों की लगातार बारिश ने राजस्थान की राजधानी जयपुर में लोगों का जीना मुहाल कर दिया. लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया. क्या घर, क्या मंदिर और क्या गाड़ियां सब जगह बस मिट्टी ही मिट्टी नजर आ रही है. कई लोगों के घर बर्बाद हो गए तो सैकड़ों गाड़ियां मिट्टी में दबीं हुई हैं.
दरअसल जयपुर में 3 घंटे की बारिश ने 14 अगस्त को पूरे शहर में कहर ढा दिया था मगर उससे भी ज्यादा लोग सरकार की लापरवाही से परेशान हैं. 5 दिन के बाद भी लोगों के घरों में कमर तक मिट्टी है.
सैकड़ों गाड़ियां मिट्टी में दबी पड़ी हैं. जिनके पास खाने कमाने के लिए कुछ नहीं बचा है वह किसी तरह से अपने बूते इस आपदा से निपटने में लगे हुए हैं.
जयपुर के सुंदर नगर की हालत सबसे ज्यादा बदतर है. यहां कोई घर नहीं बचा है जिसमें कंधे से लेकर कमर तक मिट्टी न हो. गाड़ियां मिट्टी में दबकर मलबे में तब्दील हो गई हैं. 14 अगस्त को 3 घंटे की बारिश के दौरान बांध टूटने से पानी के साथ मिट्टी का सैलाब आया और देखते ही देखते पूरे इलाके को निगल गया.
लोग जान बचाने के लिए छत पर भागे और जब बारिश खत्म होने के बाद देखा तो कुछ भी नहीं बचा था. ऑटो रिक्शा और ई-रिक्शा चला कर अपने परिवार का पेट भरने वाले गरीबों पर इस बारिश की सबसे ज्यादा मार पड़ी है. उनकी गाड़ियां मिट्टी में दफन हो गई हैं जिन्हें बाहर निकालने के लिए वो जद्दोजहद करते नजर आए.
राम भरोसे यादव बिहार से जयपुर आकर ऑटो चलाते थे. इसी की कमाई से तीन ऑटो खरीद लिया था. अब बारिश ने उन्हें पूरी तरह तबाह कर दिया क्योंकि उनके तीनों ऑटो बारिश की वजह से पूरी तरह बर्बाद हो गए.
अलवर के राम प्रसाद योगी के भी चार ऑटो मिट्टी में धंस गए, जिसकी वजह से 5 दिनों से एक पैसे की कमाई नहीं हुई है. उनके घरवाले दाने-दाने के लिए मोहताज हैं.
कुछ ऐसा ही हाल मुकेश मीणा के मकान का भी है. मकान तो खड़ा है लेकिन पूरी तरह मिट्टी में दब चुका है. कार से लेकर बेडरूम और किचन तक सब मिट्टी में दबा हुआ है.
वो खुद एक-एक कर अपनी चीजों को निकालने में लगे हुए हैं. स्वयंसेवी संस्थाएं आकर खाना खिला रही हैं तो परिवार किसी तरह से खाना खाकर गुजारा कर रहा है.
सरकारी अधिकारियों ने मिट्टी हटाने का खर्च एक करोड़ रुपए बताया है, दूसरी तरफ अधिकारी इंतजार कर रहे हैं कि कोई मिट्टी खरीदने वाला आएगा तो उसी से इसे हटवाएंगे.