झारखंड विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्च के नेता हेमंत सोरेन की अगुवाई में महागठबंधन ने बीजेपी को पटखनी देते हुए राज्य की सत्ता पर कब्जा जमा लिया है. चुनाव परिणाम आने के बाद जेएमएम प्रमुख हेमंत सोरेन का राज्य का नया मुख्यमंत्री बनना तय है लेकिन हेमंत सोरेन को मिलने वाली मुख्यमंत्री की कुर्सी को अगर कांटों का ताज कहा जाए तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होगा. हेमंत सोरने को सीएम पद की शपथ लेने के साथ ही अग्निपरीक्षा देनी होगी और अपने पांच सबसे बड़े वादों को जल्द से जल्द पूरा करने का उनपर जबरदस्त दबाव होगा.
अब अगले पांच साल झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार चलेगी जिसके सामने अपने लुभावने चुनावी वादों को पूरा करने की चुनौती होगी.झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने अपने अलग-अलग चुनावी घोषणापत्र जारी करके वादे किये थे जिसे अब उन्हें पूरा करना होगा.
1. जेएमएम ने वादा किया था कि अगर उनकी सरकार आती है तो वो राज्यों में खाली सभी सरकारी पदों को छह महीने के भीतर भरेंगे. अब हेमंत सोरेन को यह करके दिखाना होगा.
2. महागठबंधन की तरफ से चुनावी घोषणा पत्र में राज्य के किसानों से वादा किया गया था कि अगर सरकार आयी तो किसानों का दो लाख रुपये तक का कर्ज माफ होगा. अब हेमंत सोरेन पर इस वादे को पूरा करने की जिम्मेदारी है. अगर ऐसा होता है तो राज्य के खजाने पर पड़ने वाले अतिरिक्त भार के लिए वो क्या उपाय करेंगे सबकी नजर इस पर भी रहेगी.
3. बिहार की तरह झारखंड में भी बेरोजगारी बड़ा मुद्दा है. जेएमएम की तरफ से वादा किया गया था कि राज्य के निजी क्षेत्रों में 75 फीसदी नौकरियां स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित होंगी. अब हेमंत सोरेन को इस वादे पर खरा उतरना होगा.
4. राज्य के छात्रों को जिन्हें ग्रेजुएट होने के बाद भी नौकरी नहीं मिली है उसे गठबंधन की तरफ से 5000 रुपये महीना और पोस्ट ग्रेजुएट बेरोजगारों को हर महीने 7000 रुपये बेरोजगारी भत्ता देने की योजना का ऐलान किया था जिस पर अब अमल करने का वक्त आ गया है.
5. झारखंड के अधिकांश हिस्सों में आज भी बेहद गरीबी है और लोगों को मौलिक सुविधा भी नहीं मिल पा रही है. ऐसे में जेएमएम की तरफ से वादा किया गया था कि गरीब परिवारों को सालाना 72 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी जिसे अब हेमंत सोरेन को पूरा करके दिखाना होगा.