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एक हादसे ने बदल दी हेमंत की जिंदगी, संभाला था JMM का भार

एक हादसे ने बदल दी हेमंत की जिंदगी, संभाला था JMM का भार
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झारखंड विधानसभा चुनाव में रघुवर सरकार की आखिरकार विदाई हो गई. झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन (महागठबंधन) ने जबरदस्त जीत दर्ज की. जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी के इस गठबंधन के रुझानों में आगे निकलने के बाद इस जीत का श्रेय झारखंड के कद्दावर नेता शिबू सोरेन के बेटे हेमंत सोरेन को जा रहा है. क्योंकि हेमंत सोरेन की अगुवाई में ही झारखंड में महागठबंधन की नई सरकार बनेगी. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि हेमंत सोरेन ने आखिरकार बीजेपी के गढ़ में कैसे सेंध लगा दी.
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जेएमएम गठबंधन की जीत के बाद हेमंत सोरेने दोबारा राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे. ऐसा पहली बार नहीं होगा जब हेमंत सोरेन के सिर सत्ता का ताज सजेगा. हेमंत सोरेन इससे पहले भी साल साल 2013 में राज्य के पांचवें सीएम बन चुके हैं. हालांकि वो बहुत दिनों तक इस पद पर नहीं रह पाए थे.
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हेमंत सोरेन राजनीति में तो कई सालों से सक्रिय थे लेकिन उनकी जिंगदी में बदलाव उस वक्त आया जब साल 2009 में उनके बड़े भाई दुर्गा सोरेन की मौत हो गई. दुर्गा की मौत के बाद पार्टी की पूरी जिंदगी हेमंत सोरेन पर आ गई क्योंकि पिता शिबू सोरेन अस्वस्थ्य रहने लगे और बढ़ती उम्र ने भी उन्हें राजनीति से किनारा करने के लिए बाध्य कर दिया. उनकी मौत से पहले दुर्गा सोरेन को ही पिता का राजनीति उत्तराधिकारी माना जा रहा था.

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साल 1975 में बिहार में जन्मे हेमंत सोरने ने अपनी स्कूली शिक्षा बिहार की राजधानी पटना से की थी जबकि चुनाव आयोग के नामांकन पत्र में दी गई जानकारी के मुताबिक उन्होंने 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद इंजीनियरिंग के लिए बीआईटी मेसरा में एडमिशन लिया था लेकिन वो अपनी डिग्री पूरी नहीं कर पाए और परिस्थितियां ऐसी बनी की उन्हें राजनीति में आना पड़ा. हेमंत सोरेन  जून 2009 से 4 जनवरी 2010 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे थे. इसके बाद साल 2013 में वो 15 जुलाई को कांग्रेस और आरजेडी की मदद से राज्य के पांचवें सीएम बने थे लेकिन 2014 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद उनकी सत्ता से विदाई हो गई थी.

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हेमंत सोरेन बीते विधानसभा चुनाव की तरह ही इस बार भी दो सीटों से चुनावी मैदान में उतरे हैं. हेमंत सोरेन ने 2014 के चुनावी रण में बरहेट और दुमका सीट से किस्मत आजमाई थी. एक सीट से हार मिली थी, लेकिन दूसरी सीट बरहेट के मतदाताओं ने सोरेन को विजयश्री दिलाकर विधानसभा भेजा और सोरेन विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बने. बीजेपी ने इस बार सोरेन की उन्हीं के गढ़ में तगड़ी घेरेबंदी की और दुमका के साथ ही बरहेट में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया था. हालांकि बीजेपी को इसका फायदा मिलता नहीं दिख रहा है.

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खास बात यह है कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार की तरह ही हेमंत सोरेन भी शराबबंदी के पक्षधर हैं. बता दें कि बिहार में शराबबंदी के बाद झारखंड के सीमाई क्षेत्र में शराब की बिक्री में जबरदस्त इजाफा हुआ है जिससे वो काफी चिंतित हैं. उन्होंने एक बार कहा था कि राज्य में शराबबंदी के लिए पहले महिलाओं को आगे आना होगा और उन्हें इसका खुलकर विरोध करना होगा.

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