सूरज की एक दम साफ और नई तस्वीर सामने आई है. ये तस्वीरें अब तक की सबसे स्पष्ट तस्वीरें हैं. वैज्ञानिक इन्हें सूरज की एचडी तस्वीर कह रहे हैं. साथ ही हैरान भी है कि इतनी स्पष्ट तस्वीर कैसे मिल गई. ये तस्वीर ली है यूरोप के सबसे बड़े सोलर टेलीस्कोप ग्रेगोर ने. इन तस्वीरों पर अध्ययन कर रहे हैं लीबनिज इंस्टीट्यूट फॉर सोलर फीजिक्स (KIS) के वैज्ञानिक. इसी टेलीस्कोप से यूरोप के वैज्ञानिक सूरज में हो रही गतिविधियों पर नजर रखते हैं. (फोटोः KIS)
ग्रेगोर टेलीस्कोप ने इस बार काफी उन्नत किस्म की तस्वीरें ली हैं. इन तस्वीरों में सूर्य को बेहद करीब से देखना संभव हुआ है. वैज्ञानिकों का दावा है कि किसी यूरोपीय टेलीस्कोप से ली गई यह अब तक की सबसे श्रेष्ठ तस्वीरें हैं. लीबनिज इंस्टीट्यूट फॉर सोलर फिजिक्स के इंजीनियरों ने इसके लेंस को ही नए सिरे से तैयार किया है. इन नए लेंस की वजह से सूर्य की इन नई तस्वीरों को ले पाना और उनका विश्लेषण कर पाना संभव हो पाया है. (फोटोः KIS)
ग्रेगोर दूरबीन का लेंस इतना ताकतवर है कि यह सूर्य की जो तस्वीरें खींच रहा है वह 48 किलोमीटर की दूरी से सूरज को देखने जैसा है. इसके पहले भी नासा के पार्कर सोलर प्रोब ने भी अपने सूर्य अभियान के तहत करीबी फोटो खींचने में सफलता पाई थी. इस बार की तस्वीरों के बारे में वैज्ञानिकों ने बताया है कि इन तस्वीरों का छोटा का कण भी करीब 865000 मील के व्यास का है. यानी यह स्थिति किसी फुटबॉल के मैदान में एक किलोमीटर की दूरी से एक सूई को खोजने जैसी है. (फोटोः KIS)
तस्वीरों में वे सारे सन स्पॉट और वहां से उभरती हुई लपटों को भी अच्छी तरह समझा जा सकता है. सूर्य की लपटों में जो प्लाज्मा किरणें होती हैं, वे अंतरिक्ष में लाखों किलोमीटर तक जाने के बाद वापस सूर्य पर बरसती हैं. इस बार तस्वीरों से इन्हीं सौर प्लाज्मा की गतिविधियों को भी समझने में मदद मिली है. तस्वीरों में जो अंधेरे इलाके नजर आते हैं, व सन स्पॉट हैं जो लगातार बदलते रहते हैं क्योंकि सूर्य में निरंतर विस्फोट होता रहता है. (फोटोः NOS)
इन्हीं विस्फोटों की वजह से सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र में लगातार बदलाव होते रहते हैं. शोधकर्ताओं की लीडर डॉ लुसिया क्लेइंट ने कहा कि इसे पहली बार इस तरीके से देख पाना एक सुखद अनुभव रहा. इससे पहले यह दूरबीन इतने साफ तरीके से सूर्य को नहीं देख पाई थी. दूरबीन में किए गए तकनीकी बदलावों की वजह से सूर्य साफ दिखने लगा है. (फोटोः NASA)