आमतौर पर लोग विदेशों में लाखों-करोड़ों रुपये सैलरी वाली नौकरी का सपना देखते हैं लेकिन गुजरात के एक नौजवान ने इसे त्याग कर वैराग्य का रास्ता अपनाने का फैसला कर लिया है. मध्य प्रदेश के शिवपुरी में रहने वाले हितेश भाई खोना ने दुबई में करोड़ों रुपये की नौकरी छोड़कर अब संत बनने का फैसला किया है. (इनपुट -प्रमोद भार्गव)
हितेश भाई खोना अब नौकरी छोड़कर जैन संत बनने की तैयारियों में जुटे हुए हैं और 14 जनवरी को दीक्षा लेने के बाद वो कठिन साधना पर निकल जाएंगे. इसी दिन हितेश के माता-पिता चंपाबेन और भागचंद अपने बेटे को जैन संत आदर्श महाराज को सौंप देंगे.
दुबई में टैक्स कंसल्टेंट का काम करने वाले हितेश ने बताया कि बड़े भाई की शादी और माता-पिता के लिए एक मकान बनवाने में समय लगने के कारण उन्हें इस फैसले को लेने में देरी हो गई. उन्होंने बताया कि वो बहुत पहले ही वैराग्य जीवन को अपना लेना चाहते थे.
हितेश ने कहा कि जब वो 12वीं कक्षा में थे तब वो एक बार आचार्य नवरत्न सागर से मिले थे जिसके बाद वैराग्य जीवन की तरफ उनका आकर्षण बढ़ गया. वहीं से उन्हें जैन ग्रंथों के अध्ययन की प्रेरणा मिली जिसके बाद उनका रुझान बढ़ता गया.