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हाथियों को क्यों नहीं होता कैंसर? नई स्टडी में हुआ खुलासा

How Elephant become cancer resistant
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जो जीव आकार में बड़े होते हैं और ज्यादा जीते हैं, उन्हें कैंसर होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जेनेटिक म्यूटेशन के समय हर एक कोशिका बहुत तेजी से रिप्रोड्यूज करती है. ऐसे में ट्यूमर बनता है. मतलब बड़े आकार के जीव जिनके शरीर में इतनी ज्यादा कोशिकाएं होती हैं, उनमें कैंसर होने का खतरा ज्यादा होता है. लेकिन आकार में इतने बड़े हाथी तो कैंसर प्रतिरोधी होते हैं. आइए जानते हैं कैसे? (फोटोःगेटी)

How Elephant become cancer resistant
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एक नई स्टडी के मुताबिक हाथियों में ऐसे जीन्स होती हैं जो ट्यूमर बनने से रोकती हैं. इसलिए हाथी को कैंसर दुर्लभ स्थिति में ही होता है. आमतौर पर हाथियों को कैंसर नहीं होता. लेकिन यह प्रक्रिया सिर्फ हाथियों तक ही सीमित नहीं है. इनके पूर्वजों में भी यही स्थिति थी. (फोटोःगेटी)

How Elephant become cancer resistant
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हाथियों के पूर्वज केप गोल्डेन मोल्स और एलिफैंट श्रूस में ट्यूमर को बढ़ने से रोकने वाले जीन्स थे. ये बताता है कि क्रमगत उन्नति यानी विकास के क्रम में बड़े आकार के हाथियों ने अपने शरीर में ऐसे जीन्स को विकसित कर लिया जिसकी वजह से उन्हें कैंसर कम ही होता है. (फोटोःगेटी)

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यह स्टडी हाल ही में elife जर्नल में प्रकाशित हुई है. इस स्टडी को किया है यूनिवर्सिटी ऑफ बफैलो की विंसेंट लिंच और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के जुआन मैन्युएल वाजक्वेज ने. लिंच कहती हैं कि जैसे ही आपके शरीर का आकार बढ़ता है आपके ऊपर कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. क्योंकि आपके शरीर में ज्यादा कोशिकाएं होती हैं, अगर किसी कारणवश कोशिकाएं अपना रिप्रोडक्शन प्रोसेस तेज कर देती हैं तो जेनेटिक म्यूटेशन की वजह ट्यूमर होने की आशंका रहती है. (फोटोःगेटी)

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लिंच ने बताया कि ये हर प्रजाति के जीवों के लिए एक समान नहीं है. इवोल्यूशनरी मेडिसिन और कैंसर बायोलॉजी ने इस बात को प्रमाणित कर दिया कि क्रमगत विकास के साथ-साथ कैंसर का खतरा कम हो सकता है. हमने अपनी नई स्टडी में ये बताया है कि कैसे हाथी, उनके वर्तमान रिश्तेदार और पूर्वज कैंसर प्रतिरोधी थे. यानी कैंसर रेसिसटेंट. (फोटोःगेटी)

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लिंच कहती हैं कि हमारे पास पुराने रिसर्च थे, जिसमें TP53 नाम के ट्यूमर सप्रेसर यानी ट्यूमर को दबाने वाले जीन्स की जानकारी थी. हमारे मन में सवाल ये था कि क्या हाथियों में ऐसे ट्यूमर दबाने वाले जीन्स होते हैं. तो जांच और स्टडी के दौरान पता चला कि उनके पास बहुत ज्यादा ट्यूमर दबाने वाले जीन्स होते हैं. इसलिए हाथी कैंसर से बचे रहते हैं. (फोटोःगेटी)

How Elephant become cancer resistant
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अब बात ये आई कि हाथी के रिश्तेदारों की भी जांच कर ली जाए. कहीं ऐसा तो नहीं कि सिर्फ हाथियों में ये जीन्स मिलते हों. बाकी संबंधित जानवरों में नहीं. तो पता चला कि हाथियों में ट्यूमर को दबाने वाले जो जीन्स हैं, वो DNA रिपेयर करने, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कम करने, कोशिकाओं के विकास, उम्र और मृत्यु तक की प्रक्रिया को संभालते हैं. (फोटोःगेटी)

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जुआन मैन्युएल वाजक्वेज ने कहा कि हमें इस स्टडी से एक बात का पता चला कि कैसे भविष्य में इस तरह के जीन्स की मदद से कैंसर का इलाज किया जा सकता है. हमने हाथियों से संबंधित जीवों का भी अध्ययन किया. तो पता चला कि केप गोल्डेन मोल्स, एलिफैंट श्रूस, रॉक हाईरैक्सेस, मानाटीस, विलुप्त हो चुके वूली मैमथ और मास्टोडोन्स में इस तरह के जीन्स थे. (फोटोःगेटी)

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जुआन ने बताया कि ट्यूमर को दबाने वाले जीन्स एशियन, अफ्रीकन सवाना और अफ्रीकन जंगली हाथियों में मिलता है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि इनके जैसे अन्य बड़े जीव जैसे वूली मैमथ और मास्टोडोन्स कैसे विलुप्त हो गए. (फोटोःगेटी)
 

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लिंच ने कहा कि इसी ट्यूमर को दबाने वाली जीन्स की वजह से ये हाथी और इनसे संबंधित जीव इतने बड़े आकार के हो गए. इन जीवों को कैंसर का संक्रमण दुर्लभ ही होता है. इसका मतलब ये है कि इस तरह के जीन्स भविष्य में किसी छोटे जीव में विकसित हों तो वो कैंसर से तो बचेंगे ही, साथ ही उनका आकार भी बड़ा होगा. (फोटोःगेटी)

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