मुंबई की पांच महीने की बच्ची तारा कामत के लिए इंजेक्शन पर टैक्स छूट मिलने के बाद दो साल के एक और बच्चे की जान बचने की उसके माता-पिता को उम्मीद बंधी है. अयांश नाम के इस बच्चे का स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) टाइप 1 के लिए इलाज होना है. रूपल हैदराबाद में एक आईटी कंपनी में काम करती हैं और अब दिन-रात अपने बेटे अयांश की देखरेख कर रही हैं. रूपल के पति योगेश प्राइवेट नौकरी करते हैं और बेटे के इलाज पर होने वाले मोटे खर्च को जुटाने के लिए खुद को असमर्थ पा रहे हैं.
रूपल और योगेश मूल रूप से दुर्ग, छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं. एक वक्त ऐसा भी था जब SMA के लिए कोई इलाज नहीं होता था. लेकिन अब , Zolgensma नाम से एक ऐसी वंडर ड्रग मौजूद है जिससे SMA इलाज संभव है. रूपल और योगेश के मुताबिक अयांश के इलाज के लिए 16 करोड़ (टैक्स के बिना) रुपए की जरूरत है और वे अब तक क्राउड फंडिंग के माध्यम से 1.35 करोड़ रुपये ही जुटा पाए हैं. दोनों लोगों से अयांश के अच्छा होने की जंग में साथ देने की अपील कर रहे हैं. उनका कहना है कि एक परिवार के नाते उन्हें लोगों के साथ की जरूरत है.
अयांश महज 13 महीने का था जब उसकी इस दुर्लभ बीमारी का रूपल और योगेश को पहली बार पता चला था. अयांश का घर पर ही इलाज चल रहा है. हैदराबाद के एक प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टर्स हर वक्त उसके स्वास्थ्य पर नजर रख रहे हैं. SMA दुर्लभ जेनेटिक रोग है जो न्यूरो मस्कुलर जंक्शन्स को प्रभावित करता है.
ये टाइप 1 और टाइप 2, दो तरह की होती है. इसमें टाइप 1 अधिक गंभीर है जिससे अयांश पीड़ित है. ये रोग सर्वाइवल मोटर न्यूरॉन (SMN) जीन में जेनेटिक गड़बड़ी की वजह से होता है. ये जीन एसएमएन प्रोटीन को एनकोड करता है जो मोटर न्यूरॉन्स के सर्वाइव करने के लिए जरूरी होता है.
अयांश के पिता ने बताया कि म्यूकस जमा होने की वजह से अयांश को छाती का संक्रमण है. उसकी छाती की मसल्स को टाइट रखने के लिए फिजियोथेरेपी की जरूरत होती है. इसके म्यूकस को निकालते रहने के लिए अयांश को दिन में 2-3 बार सक्शन मशीन लगाने की आवश्यकता भी होती है. अयांश की BiPAP मशीन पर निर्भरता बढ़ गई है.
Zolgensma के ब्रैंड नेम से मिलने वाली Onasemnogene abeparvovec दवा का इस्तेमाल स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी के इलाज में होता है. Avexis की ओर से विकसित की गई इस ड्रग के निर्माण के अधिकार Novartis दवा कंपनी ने हासिल किए हैं. अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने 2019 में इस ड्रग को मंजूरी दी. ये दुनिया की सबसे महंगी दवाओं में से एक है.