भारत ने सोमवार को ओडिशा तट के पास डॉ. अब्दुल कलाम द्वीप से मानव रहित स्क्रैमजेट का हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट का सफल परीक्षण किया. रक्षा सूत्रों की मानें तो हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली के विकास को आगे बढ़ाने के लिए यह परीक्षण एक बड़ा कदम था. लेकिन आपको बता दें भारत सिर्फ इसी एक यान पर काम नहीं कर रहा है. भारत के पास आधा दर्जन से ज्यादा हाइपरसोनिक प्रोजेक्ट्स हैं, जिनकी सफलता के बाद दुनिया हैरान रह जाएगा और दुश्मन देश नजरें उठाने से भी डरेंगे. आइए जानते हैं भारत के इन बेहतरीन हाइपरसोनिक प्रोजेक्ट्स और यानों के बारे में...
HSTDV स्क्रैमजेट इंजन व्हीकलः रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने मानव रहित स्क्रैमजेट का हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट का सफल परीक्षण किया. इसे एचएसटीडीवी (हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल- Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle) कहते हैं. हाइपरसोनिक स्पीड फ्लाइट के लिए मानव रहित स्क्रैमजेट प्रदर्शन विमान है. जो विमान 6126 से 12251 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़े, उसे हाइपरसोनिक विमान कहते हैं. भारत के एचएसटीडीवी (HSTDV) का परीक्षण 20 सेकंड से भी कम समय का था. हालांकि, फिलहाल इसकी गति करीब 7500 किलोमीटर प्रति घंटा थी, लेकिन भविष्य में इसे घटाया या बढ़ाया जा सकता है. इस यान से यात्रा तो की ही जा सकती है, साथ ही दुश्मन पर पलक झपकते ही बम गिराए जा सकते हैं. या फिर इस यान को ही बम के रूप में गिराया जा सकता है.
RLV-TD रीयूजेबल लॉन्च व्हीकलः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल टेक्नोलॉजी डिमॉन्सट्रेशन प्रोग्राम के तहत 23 मई 2016 को एक यान लॉन्च किया था. इसका नाम है RLV-TD (Reusable Launch Vehicle Technology Demonstration). यह मिशन 770 सेकेंड तक चला था. इस दौरान यह यान 65 किलोमीटर की ऊंचाई तक गया था और करीब 450 किलोमीटर की दूरी तय की थी. इसके विकास में 10-15 साल लगेंगे. यह NASA के स्पेसशटल जैसा दिखता है. भविष्य में इससे भारतीय एस्ट्रोनॉट्स धरती के बाहर अंतरिक्ष में आएंगे-जाएंगे. इस दौरान इसने हाइपरसोनिक गति प्राप्त की थी. यह मैक-6 यानी 7408 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से उड़ सकता है.
AVATAR-अवतारः डीआरडीओ (DRDO) भारत के लिए एक रोबोटिक सिंगल यूज रीयूजेबल स्पेस प्लेन बनाने की तैयारी में है. इसका नाम है एयरोबिक व्हीकल फॉर ट्रांसएटमॉसफियरिक हाइपरसोनिक एयरोस्पेस ट्रांसपोर्टेशन (Aerobic Vehicle for Transatmospheric Hypersonic Aerospace TrAnspoRtation - AVATAR). यह सिंगल यूज करने वाला यान धरती के बाहर अंतरिक्ष के लोअर अर्थ ऑर्बिट में जाएगा. इसका वजन 25 टन होगा. फिलहाल ये प्रोजेक्ट कॉन्सेप्ट के स्तर पर ही.
ATV-एडवांस्ड टेक्नोलॉजी व्हीकलः एडवांस्ड टेक्नोलॉजी व्हीकल को इसरो बनाकर एक बार सफल परीक्षण कर चुका है. इसका डिजाइन रोहिणी-560 रॉकेट के जैसा था. यह 30 फीट लंबा और 1.8 फीट व्यास का था. इसका वजन 3000 किलोग्राम था. इसका दो सफल परीक्षण 2016 में किया गया था. इससे पहले साल 2010 में भी इसका एक सफल परीक्षण किया गया था. यह रॉकेट भी मैक-6 यानी 7408 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से उड़ सकता है.
ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइलः रूस और भारत मिलकर ब्रह्मोस-2 हाइपरसोनिक मिसाइल बना रहे हैं. इसमें वही स्क्रैमजेट इंजन लगाया जाएगा, जिसका परीक्षण सोमवान यानी 7 अगस्त 2020 को डीआरडीओ ने सफलतापूर्वक किया है. इस मिसाइल की रेंज अधिकतम 600 किलोमीटर होगी. लेकिन इसकी गति बहुत ज्यादा होगी. यह मैक-7 यानी 8,575 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दुश्मन पर धावा बोलेगी. इसे जहाज, पनडुब्बी, विमान या जमीन पर लगाए गए लॉन्चपैड से जागा जा सकेगा. ऐसा माना जा रहा है कि यह मिसाइल अगले साल तक बनकर तैयार हो जाएगी.
शौर्य हाइपरसोनिक मिसाइलः डीआरडीओ द्वार बनाई गई शौर्य हाइपरसोनिक मिसाइल भी गति की सीमाएं तोड़ने में सक्षम है. यह मिसाइल मैक-7.5 यानी 9,187 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दुश्मन पर हमला कर सकती है. इसका वजह 6.2 टन है. यह 33 फीट लंबी और 2.4 फीट चौड़ी है. यह पारंपरिक और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है. इसकी रेंज 2000 किलोमीटर तक है. यह नौसेना के पास मौजूद मिसाइल सागरिका-के15 मिसाइल का अत्याधुनिक वर्जन है. इसके अब तक दो परीक्षण हो चुके हैं पहला साल 2008 में और दूसरा साल 2011 में. उसके बाद से इसे सेना में शामिल कर दिया गया.
HGV- हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकलः भारत का यह पहला हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल होगा. फिलहाल यह कॉन्सेप्ट के स्तर पर है. उम्मीद जताई जा रही है कि यह मैक-5 यानी करीब 4000 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ेगा. भारत सरकार के साथ एक निजी कंपनी मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. इसका आधिकारिक नाम HGV-202F रखा गया है. इसके डिजायन की तस्वीर सामने नहीं आई है.