दरअसल, मुगल काल में परिवार को तनख्वाह के रूप में 15 सोने की अशर्फियां
मिलती थीं. इसके बाद परिवार को 15 सोने की गिन्नियां मिलना शुरू हुईं. फिर
तनख्वाह के तौर पर चांदी के 15 सिक्के मिलने लगे. साल 1966 से इस परिवार को
भारतीय मुद्रा में 15 रुपये मिल रहे हैं.