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लद्दाख में 60 तो डोकलाम में 73 दिन तक आमने सामने रही भारत-चीन सेना

लद्दाख में 60 तो डोकलाम में 73 दिन तक आमने सामने रही भारत-चीन सेना
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लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बीते दो महीने से जारी तनाव में अब थोड़ी नरमी आई है. भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री के बीच करीब 2 घंटे से ज्यादा समय तक चली बातचीत के बाद चीनी सेना गलवानी घाटी में पीछे हटने को तैयार हो गई है. चीनी सैनिक कथित तौर पर टकराव स्थल से एक किलोमीटर पीछे चले गए और उन्होंने वहां से अपना टेंट भी हटा लिया है. इसके बाद दोनों सेनाओं के बीच बफर ज़ोन बन गया है.
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रिपोर्ट्स में ये भी कहा गया है कि चीनी सेना उस संरचना को भी ध्वस्त कर रही है जो उन्होंने गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद खड़ी कर दी थी. गलवान घाटी में संघर्ष के बाद से भारतीय और चीनी सेनाओं के कमांडरों के बीच तीन दौर की वार्ता के बाद यह नरमी आई है.
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कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीनी निर्माण को देखते हुए, फेसऑफ़ डोकलाम से अधिक लंबा हो सकता है, जो 2017 में भारत, भूटान और चीन की सीमाओं के त्रिकोणीय जंक्शन पर 73 दिन तक चला था.

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लद्दाख में फेसऑफ़ की शुरुआत भारतीय और चीनी गश्ती टीमों के बीच 5-6 मई यानी 60 दिन पहले पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट पर हुई हिंसक झड़प के साथ हुई थी. तीन दिन बाद, सिक्किम के नकु ला में एक और ऐसी ही झड़प दोनों सेना के बीच हुई थी. इस झड़प में चार भारतीय और सात चीनी सैनिक कथित रूप से घायल हो गए थे. 15 जून की रात को गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी जिसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे जबकि चीन को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा था.
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साल 2017 में डोकलाम में, फेसऑफ़ भूटान से संबंधित क्षेत्र में हुआ था, जिसका भारत के साथ सीमा सुरक्षा समझौता है. चीनी सेना इस क्षेत्र को नियंत्रित करता चाहती थी, जिसे डोकलाम कहा जाता है. इसे चिकन नेक (गर्दन) या भारत के सिलिगुड़ी कॉरिडोर के रूप में जाना जाता है, जो पूर्वोत्तर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है. इस क्षेत्र में भारत और चीनी सेना करीब 73 दिन तक आमने-सामने थी. राजनयिक हस्तक्षेप के साथ यह गतिरोध समाप्त हो गया था.
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लद्दाख में गतिरोध खत्म करने के लिए 9 जून को दोनों देशों ने सहमति के जरिए पीछे हटने का फैसला किया था. भारतीय सेना ने कहा था कि चीन ने अपने सैनिकों को तीन फेसऑफ साइटों - पैंगॉन्ग त्सो, गलवानी घाटी और हॉट स्प्रिंग्स से वापस लेना शुरू कर दिया है. चार दिनों के बाद जनरल नरवाने ने घोषणा की थी कि चरणबद्ध तरीके से सैनिक पीछे हटाए जाएंगे.

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इसके बाद चीनी पक्ष ने अपने फैसले में बदलाव करते हुए सैनिकों की वापसी को रोक दिया. भारतीय सेना ने कुछ चीनी संरचनाओं को गलवान घाटी में बनते देखा. कर्नल बी संतोष बाबू के नेतृत्व में इसी का पता लगाने के लिए  जवानों की टीम वहां पहुंची जिसके बाद वहां बड़ी संख्या में मौजूद चीनी सैनिक ने भारतीय दल पर हमला कर दिया था. इस हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए जबकि चीन के भी 30 से ज्यादा सैनिक मारे गए. हालांकि चीन ने आधिकारिक तौर पर ये स्वीकार नहीं किया.

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