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लद्दाख में तनाव पर चीन का प्रोपेगेंडा शुरू, जानिए लोगों से पूछे क्या सवाल?

लद्दाख में तनाव पर चीन का प्रोपेगेंडा
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लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन से जारी भयंकर तनाव और भारत की तैयारियों पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज संसद में केंद्र सरकार का पक्ष रखेंगे. वो देश को सीमा पर मौजूदा हालात की जानकारी देंगे लेकिन उससे पहली ही चीन ने अपने मुख पत्र माने जाने वाले अखबार ग्लोबल टाइम्स के जरिए प्रोपेगेंडा फैलाना शुरू कर दिया है.

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चीनी अखबार ने प्रोपेगेंडा फैलाते हुए पहला सवाल पूछा है कि भारत ने चीन को भड़काने की हिम्मत कैसे की? सवाल भी इस चीनी अखबार ने ही पूछा और इसका जवाब भी दिया है. अखबार ने बताया कि 47.03 फीसदी लोगों ने भारत के अति आत्मविश्वास को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया है जबकि 30.81 फीसदी लोगों ने अमेरिका के सहयोग को कारण बताया गया है. वहीं 10 फीसदी लोगों ने वाहवाही लूटने के लिए भारत द्वारा उठाया गया कदम बताया है. जबकि भारत का पक्ष बिल्कुल इसके विपरीत है. भारत ने चीन की विस्तारवादी नीति का विरोध किया है और चीनी सैनिकों को सबक सिखाते हुए रणनीतिक ऊंचाईयों पर बढ़त बनाकर सिर्फ अपनी जमीन की रक्षा की है.

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चीनी अखबार ने दूसरा सवाल उठाया है कि आखिर भारत में चीन विरोधी जनभावना क्यों मजबूत होती जा रही है? अखबार ने इसका भी जवाब दिया है. ग्राफ के जरिए ग्लोबल टाइम्स ने बताया है कि भारत के 54.59 फीसदी लोग शक्तिशाली चीन को अपने लिए खतरा मानते हैं जबकि 14.49 फीसदी लोगों के मन में सीमा विवाद की वजह से चीन के खिलाफ जनभावना है. अखबार ने कहा है कि भारत के 21.62 फीसदी लोग 1962 में मिली हार की वजह से चीन के खिलाफ वैमनस्यता रखते हैं.

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वहीं ग्लोबल टाइम्स ने तीसरा सवाल उठाया है कि भारत की चीन को लेकर कूटनीति में अमेरिका की कितनी भूमिका है? इसके जवाब में अखबार ने ग्राफ के जरिए बताया कि 49.19 फीसदी लोग मानते हैं कि भारत की कूटनीति में अमेरिका की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है जबकि 48.11 फीसदी इसे साधारण और 2.7 फीसदी लोग इसे बहुत ज्यादा नहीं मानते हैं.

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चीन के इस सराकारी अखबार ने चौथा सवाल ये पूछा है कि क्या भारत और चीन के बीच युद्ध हो सकता है? इसका जवाब देते हुए अखबार ने बताया है कि 62.7 फीसदी लोग मानते हैं कि छोटे स्केल का युद्ध हो सकता है, जबकि 26.65 फीसदी लोगों का कहना है कि दोनों देशों के बीच जंग छिड़ सकती है वहीं सिर्फ 8.65 फीसदी लोग मानते हैं कि दोनों देशों में युद्ध नहीं होगा. 

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