अगर नहीं सुधरे तो अगले 50 साल में भारत में मौजूद 1.20 बिलियन यानी 120 करोड़ लोग भयानक गर्मी का सामना करेंगे. ये गर्मी वैसी होगी जैसी सहारा रेगिस्तान में पड़ती है. ऐसा सिर्फ इसलिए होगा कि तब तक वैश्विक तापमान बढ़ जाएगा. कारण होगा प्रदूषण, पेड़ों की कटाई और इसकी वजह से हो रही ग्लोबल वार्मिंग. भारत, नाइजीरिया और पाकिस्तान समेत 10 देश इससे अछूते नहीं रहेंगे. (फोटोः AFP)
ब्रिटेन की एक्सटेर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता टिम लेंटन ने बताया कि जब मैंने ये आंकड़े देखे तो दंग रह गया. मैंने कई बार चेक किया लेकिन यही आकंड़े सामने निकल कर आ रहे थे. ग्लोबल वार्मिंग का सबसे बड़ा खतरा इंसानों को ही है. यही सबसे ज्यादा मुश्किल में आएंगे. (फोटोः रॉयटर्स)
नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेंज में प्रकाशित टिम लेंटन की रिपोर्ट के मुताबिक इंसान अब तक उन इलाकों में रहना पसंद करते हैं जहां का औसत न्यूनतम तापमान 6 डिग्री और औसत अधिकतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस तक जाए. इसके ऊपर या नीचे उन्हें दिक्कत होने लगती है. (फोटोः रॉयटर्स)
लेकिन अब दुनिया के कई देशों में जमीन समुद्र की तुलना में ज्यादा तेजी से गर्म हो रही है. यानी इस सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में जब औसत 3 डिग्री सेल्सयस का इजाफा होगा, तब इंसानों के अलग-अलग देशों और वहां मौसम के अनुसार 7.5 डिग्री ज्यादा तापमान तक का सामना करना पड़ेगा. (फोटोः रॉयटर्स)
यानी अगर आप भारत में रहते हैं और गर्मियों में तापमान अधिकतम 48 डिग्री सेल्सियस तक जाता है, तो इस सदी के अंत तक यह तापमान बढ़कर 55 या 56 डिग्री सेल्सियस हो सकता है. लेकिन यहां पर बात औसत तापमान की हो रही है, वो भी बढ़ रहा है. इस हिसाब से दुनिया की 30 फीसदी आबादी को बहुत ज्यादा तापमान में रहना पड़ सकता है. (फोटोः रॉयटर्स)