मध्य प्रदेश के आगर मालवा में भारत का एक मात्र प्रजनन केंद्र है जहां मालवा नस्ल की गायों का प्रजनन करवाया जाता है लेकिन अब इस प्रजनन केंद्र पर खतरा मंडरा रहा है. यह प्रजनन केंद्र अपने आप में अनूठा है क्योंकि यहांं हर गाय का नाम है और जिस गाय का नाम पुकारा जाता है, बछड़ा उसी के पास जाकर दूध पीता है.
प्रजनन केंद्र, आगर मालवा की शान मोतीसागर तालाब के बिल्कुल पास बना हुआ है जहां मालवा नस्ल की देसी गायों को बचाने की कवायद कई वर्षों से चल रही है. यहां प्रजनन के लिए देसी नस्ल के बैलों को भी तैयार किया जाता है ताकि नस्ल आगे आने वाले समय में लुप्त न हो.
इस केंद्र में जितनी भी गाय हैं, सबके अपने नाम है, और सभी गाय अपने नामों को समझती हैं. गाय को जहां बांधा जाता है वहा उसका नाम लिखा होता है. यहां काम करने वाले कर्मचारी जिस गाय का नाम पुकारते है, उस गाय का बछड़ा आता है और अपनी मां के पास चला जाता है. बछड़े अपनी मां के नाम को भली-भांति समझते हैं और आवाज उन्हें लगाई जा रही है, ये भी समझते हैं.
लेकिन अब इस प्रजनन केंद्र पर खतरा मंडरा रहा है क्योंकि इस प्रजनन केंद्र के समीप थोड़ी बहुत नहीं बल्कि 100 बीघा के करीब जमीन को लगभग 40 फ़ीट तक खोदने की कवायद चल रही है.
नीमच की एक कम्पनी को यहां खनन के लिए स्वीकृति दी जाना प्रस्तावित है. अब ऐसे में जब यहां खनन होगा तो क्या इस केंद्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा? यहां जो धूल मिट्टी उड़ेगी, यहां जो प्रजनन क्रिया होती है उस पर इस तरह के वातावरण का विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा? और यहां खनन शुरू हो जाता है तो वर्षों से प्रशासन द्वारा देसी नस्ल की गायों को बचाने के प्रयासों पर पानी फिर जाएगा. यह सवाल खड़े हो रहे हैं.