भारत ने ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज में 23 दिसंबर को पहली बार मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल की सफल टेस्टिंग की. इस मिसाइल को अंतरराष्ट्रीय स्तर MRSAM (Medium Range Surface to Air Missile) से जाना जाता है. भारत के इस परीक्षण से दुश्मन देशों की हालत खराब हो रही है. वजह ये है कि यह मिसाइल और इसकी टेक्नोलॉजी इजरायल से ली गई है. आइए जानते हैं कि आखिर इस मिसाइल से डरने की क्या वजह है? (फोटोः DRDO)
भारतीय सेना (Indian Army) के लिए बनाई गई इस MRSAM (Medium Range Surface to Air Missile) मिसाइल को भारत के DRDO और इजरायल के IAI ने मिलकर बनाया है. MRSAM आर्मी वेपन सिस्टम में कमांड पोस्ट, मल्टी फंक्शन राडार, मोबाइल लॉन्चर सिस्टम होता है. यह इजरायल की खतरनाक मिसाइल बराक-8 (Barak-8) पर आधारित है. (फोटोः DRDO)
MRSAM (Medium Range Surface to Air Missile) का वजन करीब 275 किलोग्राम होता है. लंबाई 4.5 मीटर और व्यास 0.45 मीटर होता है. इस मिसाइल पर 60 किलोग्राम वॉरहेड यानी हथियार लोड किया जा सकता है. यह दो स्टेज की मिसाइल है, जो लॉन्च होने के बाद धुआं कम छोड़ती है. (प्रतीकात्मक फोटोः DRDO)
एक बार लॉन्च होने के बाद MRSAM (Medium Range Surface to Air Missile) आसमान में सीधे 16 किलोमीटर तक टारगेट को गिरा सकती है. वैसे इसकी रेंज आधा किलोमीटर से लेकर 100 किलोमीटर तक है. यानी इस रेंज में आने वाले दुश्मन यान, विमान, ड्रोन या मिसाइल को नेस्तानाबूत कर सकती है. (प्रतीकात्मक फोटोः DRDO)
MRSAM (Medium Range Surface to Air Missile) मिसाइल में नई बात है रेडियो फ्रिक्वेंसी सीकर यानी यह दुश्मन का यान अगर चकमा देने के लिए सिर्फ रेडियो का उपयोग कर रहा है तो भी यह उसे मार गिराएगी. इसकी गति है 680 मीटर प्रति सेकेंड यानी 2448 किलोमीटर प्रतिघंटा. इसकी गति भी इसे बेहद घातक बनाती है. (प्रतीकात्मक फोटोः DRDO)
भारत ने इजरायल से MRSAM मिसाइल के पांच रेजीमेंट खरीदने की बात की है. इसमें 40 लॉन्चर्स और 200 मिसाइल आएंगे. इस डील की कीमत करीब 17 हजार करोड़ रुपए हैं. इन मिसाइलों की तैनाती से भारत को वायु सुरक्षा कवच बनाने में मदद मिलेगी. उम्मीद है कि साल 2023 तक इनकी तैनाती कर दी जाएगी. (प्रतीकात्मक फोटोः DRDO)
भारत की इजरायल के साथ अच्छी दोस्ती है. भारत ने 1996 में इजरायल से 32 सर्चर अनमैन्ड एरियल व्हीकल खरीदे थे. इसके अलावा लेजर गाइडेड बम भी खरीदे गए. बराक-1 मिसाइल से लेकर बराक-8 और बराक-8ER मिसाइल की डील चल रही है. इसके बाद आसमान से निगरानी रखने के लिए भारत ने इजरायल से तीन फॉल्कन अवॉक्स विमान खरीदे. (प्रतीकात्मक फोटोः DRDO)
भारत ने 50 इजरायली ड्रोन्स खरीदे. भारत इस प्रयास में भी है कि उसे इजरायल की 450एस हर्मीस मिसाइल भी मिले. भारत आसमानी सुरक्षा के लिए इजरायल से एंटी-एयरक्राफ्ट सिस्टम मंगवा रहा है. इसके अलावा एंटी-टैंक मिसाइल, हेरॉन ड्रोन्स की डील हुई है. साथ ही इंटेलिजेंस शेयरिंग भी होती है. (प्रतीकात्मक फोटोः DRDO)