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तालिबानी सत्ता आने के 24 घंटे में ही महिला रिपोर्टर ने बदली ड्रेस? ये है सच्चाई

International reporter under taliban
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अफगानिस्तान(Afghanistan) से अमेरिका(America) और नाटो सेना(Nato forces) के निकलने के साथ ही तालिबान(Taliban) ने अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया है. तालिबान (Taliban) के सत्ता में आने के साथ ही अफगानिस्तान में अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है. खासतौर पर अफगानिस्तान में रह रही महिलाएं काफी घबराई हुई हैं. इसी बीच एक अमेरिकन टीवी रिपोर्टर की तस्वीरें वायरल हो रही हैं. (फोटो क्रेडिट: Getty images)

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सीएनएन की टीवी रिपोर्टर क्लेरिसा वॉर्ड की कुछ तस्वीरें वायरल हो रही हैं जिनमें वे अलग-अलग परिधानों में नजर आ रही हैं. कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स का दावा है कि तालिबान के राज के महज 24 घंटों के भीतर ही उनका ड्रेसअप पूरी तरह से बदल चुका है. हालांकि इस मामले में क्लेरिसा ने सोशल मीडिया पर खुद बयान दिया है. (Clarrisa ward, फोटो क्रेडिट: getty images)

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क्लेरिसा वॉर्ड जहां एक फोटो में सामान्य वेस्टर्न प्रोफेशनल कपड़ों में दिख रही हैं वही दूसरी तस्वीर में वे इस्लामिक परिधान में नजर आ रही हैं. इसे आमतौर पर शिया मुस्लिम महिलाएं पहनती हैं. कई लोगों का कहना था कि क्लेरिसा ने तालिबान से डर के चलते अपने कपड़ों के चयन में बदलाव किया है. हालांकि एक ट्वीट के सहारे क्लेरिसा ने इस बारे में बात की है. (फोटो क्रेडिट: Clarrisa ward)
 

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उन्होंने कहा कि इन तस्वीरों को गलत अंदाज में पेश किया गया है. पहली तस्वीर एक प्राइवेट कंपाउंड के भीतर ली गई है वही दूसरी तस्वीर तालिबान द्वारा शासित काबुल की है. मैं पहले भी जब भी काबुल की सड़कों पर रिपोर्टिंग के लिए जाती हूं तो हमेशा से ही सिर पर स्कार्फ का इस्तेमाल करती रही हूं. हालांकि मेरा सिर पूरी तरह ढका नहीं होता था और मै अबाया पोशाक में नहीं होती थी. बेशक बदलाव आया है, पर ये उस स्तर का नहीं जैसा तस्वीर में दिखाया गया है. (फोटो क्रेडिट: Clarrisa ward, ट्विटर)

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गौरतलब है कि वॉर्ड एक इंटरनेशनल रिपोर्टर के तौर पर इस्लामिक कट्टरपंथ से प्रभावित कई देशों का दौरा कर चुकी हैं. उन्होंने साल 2012 में सीरिया के एलेप्पो शहर से रिपोर्टिंग की थी. अगले साल उन्होंने मिस्र में रिपोर्टिंग की. साल 2014 में वे एक बार फिर सीरिया गई थीं और उन्होंने वहां एक अमेरिकी और एक नीदरलैंड्स के जिहादी का इंटरव्यू किया था. (फोटो क्रेडिट: AP)

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साल 2019 में वॉर्ड पहली ऐसी वेस्टर्न रिपोर्टर बनी थीं जिन्होंने अफगानिस्तान के तालिबान शासित क्षेत्र की जिंदगी को रिपोर्ट किया था. उन्होंने तालिबानी लीडर्स के इंटरव्यू भी किए थे. हालांकि 2021 में ही म्यांमार में अपनी रिपोर्टिंग के लिए उनकी स्थानीय पत्रकारों ने काफी आलोचना भी की थी और उन्हें 'पैराशूट पत्रकार' बताया था. (Clarrisa ward तालिबानियों के साथ, फोटो क्रेडिट: getty images)

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गौरतलब है कि जहां तालिबान काबुल पर कब्जा करने के बाद देश के लोगों की जिंदगियां सुधारने की बात कह रहा है. वहीं सोशल मीडिया पर काबुल के एयरपोर्ट पर भागते लोगों के हुजूम और हवाई जहाज पर चढ़ने की कोशिश करते लोगों की तस्वीरें वायरल हो रही हैं. कई महिलाएं भी बहुत ज्यादा घबराई हुई हैं क्योंकि तालिबान के पहले शासनकाल में उनकी आजादी को खत्म कर दिया गया था. (फोटो क्रेडिट: getty images)

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बता दें कि साल 1996 में जब तालिबान का राज अफगानिस्तान पर था उस दौर में महिलाओं को लेकर कई प्रतिबंध लगा दिए गए थे. महिलाएं घर से बाहर अकेली नहीं निकल सकती थीं. इसके अलावा वे पढ़ने या नौकरी करने नहीं जा सकती थीं. कई ऐसी घटनाएं सामने आई थीं जब इन नियमों को तोड़ने पर तालिबानियों ने महिलाओं को मार गिराया था. (फोटो क्रेडिट: getty images)
 

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