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16 को ISRO की ताकतवर सैटेलाइट होगी लॉन्च! दुश्मन किसी हरकत से पहले सोचेगा

ISRO Will Launch EOS-3/GISAT-1 Satellite
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 16 अप्रैल 2021 को ऐसा सैटेलाइट लॉन्च करने जा रहा है जो देश के जमीनी विकास और आपदा प्रबंधन के लिए मददगार साबित होगा. ये सैटेलाइट सीमा की सुरक्षा के लिए काम आएगा. ये एक अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट है जो सिर्फ और सिर्फ भारत की जमीन और उसके सीमाओं पर अंतरिक्ष से नजर रखेगा. इस जियो-इमेजिंग सैटेलाइट का नाम है EOS-3/GISAT-1 (Earth Observation Satellite-3/Geosynchronous Satellite Launch Vehicle F10). (फोटोः ISRO)

ISRO Will Launch EOS-3/GISAT-1 Satellite
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EOS-3/GISAT-1 की लॉन्चिंग आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा द्वीप पर स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से की जाएगी. लॉन्चिंग के लिए GSLV-MK2 रॉकेट का उपयोग किया जाएगा. रॉकेट EOS-3/GISAT-1 सैटेलाइट को जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा. जहां पर ये 36 हजार किलोमीटर की ऊंचाई पर धरती का चक्कर लगाता रहेगा. लॉन्चिंग मौसम या तकनीकी बाधा आने पर टाली भी जा सकती है. (फोटोः ISRO)

ISRO Will Launch EOS-3/GISAT-1 Satellite
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GSLV-MK2 रॉकेट से पहली बार ओजाइव शेप्ड पेलोड फेयरिंग (OPLF) सैटेलाइट को छोड़ा जाएगा. यानी EOS-3/GISAT-1 सैटेलाइट OPLF कैटेगरी में आता है. इसका मतलब ये है कि सैटेलाइट 4 मीटर व्यास के मेहराब जैसा दिखाई देगा. इसरो सूत्रों की माने तो ये स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन से लैस रॉकेट की आठवीं उड़ान होगी. जबकि GSLV रॉकेट की 14वीं उड़ान. (फोटोः ISRO)

ये भी पढ़ेंः US की सैटेलाइट में इतना ताकतवर कैमरा नहीं

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ISRO Will Launch EOS-3/GISAT-1 Satellite
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लॉन्च के 19 मिनट के अंदर EOS-3/GISAT-1 सैटेलाइट अपने निर्धारित कक्षा में तैनात कर दिया जाएगा. इस सैटेलाइट की खास बात हैं इसके कैमरे. इस सैटेलाइट में तीन कैमरे लगे हैं. पहला मल्टी स्पेक्ट्रल विजिबल एंड नीयर-इंफ्रारेड (6 बैंड्स), दूसरा हाइपर-स्पेक्ट्रल विजिबल एंड नीयर-इंफ्रारेड (158 बैंड्स) और तीसरा हाइपर-स्पेक्ट्रल शॉर्ट वेव-इंफ्रारेड (256 बैंड्स). पहले कैमरे का रेजोल्यूशन 42 मीटर, दूसरे का 318 मीटर और तीसरे का 191 मीटर. यानी इस आकृति की वस्तु इस कैमरे में आसानी से कैद हो जाएगी. (फोटोः ISRO)

ISRO Will Launch EOS-3/GISAT-1 Satellite
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विजिबल कैमरा यानी दिन में कान करने वाला कैमरा जो सामान्य तस्वीरें खीचेंगा. इसके अलावा इसमें इंफ्रारेड कैमरा भी लगा है. जो रात में तस्वीरें लेगा. यानी भारत की सीमा पर किसी तरह की गतिविधि हुई तो EOS-3/GISAT-1 सैटेलाइट के कैमरों की नजर से बचेगी नहीं. ये किसी भी मौसम में तस्वीरें लेने के लिए सक्षम है. (फोटोः ISRO)

ISRO Will Launch EOS-3/GISAT-1 Satellite
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इसके अलावा इस सैटेलाइट की मदद से आपदा प्रबंधन, अचानक हुई कोई घटना की निगरानी की जा सकती है. साथ ही साथ कृषि, जंगल, मिनरेलॉजी, आपदा से पहले सूचना देना, क्लाउड प्रॉपर्टीज, बर्फ और ग्लेशियर समेत समुद्र की निगरानी करना भी इस सैटेलाइट का काम है. (फोटोः ISRO)

ISRO Will Launch EOS-3/GISAT-1 Satellite
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साल 1979 से लेकर अब तक 37 अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट्स छोड़े गए. इनमें से दो लॉन्च के समय ही फेल हो गए थे. इसरो पहले इसकी लॉन्चिंग 5 मार्च को करने वाला था पर कुछ तकनीकी कारणों से इस टाल दिया गया. फिर खबर आई कि ये सैटेलाइट 28 मार्च को लॉन्च किया जा सकता है लेकिन इसे फिर टालकर 16 अप्रैल कर दिया गया है. (फोटोः ISRO)

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2268 किलोग्राम वजनी EOS-3/GISAT-1 सैटेलाइट अब तक का भारत का सबसे भारी अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट होगा. इसके पहले भारत ने 600 से 800 किलोग्राम के सैटेलाइट लॉन्च किए थे. ये सैटेलाइट्स धरती के चारों तरफ 600 किलोमीटर की ऊंचाई पर पोल से पोल तक का चक्कर 90 मिनट में एक बार लगाते थे. (फोटोः ISRO)

ISRO Will Launch EOS-3/GISAT-1 Satellite
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EOS-3/GISAT-1 सैटेलाइट के बाद ISRO दूसरा जियो-इमेजरी सैटेलाइट EOS-2 भी लॉन्च करेगा, लेकिन उसकी तारीख अभी तय नहीं है. यह सैटेलाइट देश की सुरक्षा के लिए खास तरह के उपकरणों से लैस होगा. जिसमें थर्मल इमेजिंग कैमरा (Thermal Imaging Camera) का भी जिक्र किया जा रहा है. अगर यह कैमरा इस सैटेलाइट में लगा होगा तो रात के अंधेरे में गर्मी के अनुपात से आकृतियों के पता लगाकर ये जानकारी हासिल की जा सकेगी कि दिखने वाली आकृति जानवर है इंसान. इससे देश की सीमाएं ज्यादा सुरक्षित होंगी. साथ ही देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी फायेदमंद होगा. (फोटोः ISRO)

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ISRO Will Launch EOS-3/GISAT-1 Satellite
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ISRO के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक EOS-3/GISAT-1 सैटेलाइट की लॉन्चिंग सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड-2 से होगी. इस सैटेलाइट का झुकाव 19.4 डिग्री होगा ताकि यह पूरे देश पर नजर रख सके. इसके पहले भेजे गए अर्थ ऑब्जरवेशन सैटेलाइट्स Cartosat और RISAT सीरीज के सैटेलाइट्स ने सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट अटैक और चीन के साथ पिछले साल हुए विवाद के समय सीमा पर भरपूर निगरानी रखी थी. जिससे दुश्मन देशों की हालत खराब हो रही थी. (फोटोः ISRO)

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