कई देशों में स्थानीय सरकार पर ये आरोप लग रहे हैं कि कोरोना वायरस को रोकने के लिए सही वक्त पर जरूरी कदम नहीं उठाए गए. लेकिन इटली में ये मामला इतना गंभीर हो गया कि प्रधानमंत्री भी पूछताछ के दायरे में आ गए. बता दें कि इटली में कोरोना वायरस से अब तक 34 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
करीब 6 करोड़ की आबादी वाले इटली में कोरोना से कुल संक्रमित लोगों की संख्या 2.36 लाख से अधिक है. सरकार पर ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या उन्होंने लॉकडाउन लागू करने में देरी की, जिसकी वजह से कोरोना के मामले देश में बढ़े.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इटली का बर्गामो उन इलाकों में शामिल है जहां कोरोना से सबसे अधिक नुकसान पहुंचा. बर्गामो के प्रॉसेक्यूटर्स ने इटली के प्रधानमंत्री गिउसेप्पे कोन्टे से शुक्रवार को करीब 3 घंटे पूछताछ की.
बर्गामो के प्रॉसेक्यूटर्स इस बात का पता लगा रहे हैं कि क्यों समय रहते लॉकडाउन नहीं किया गया, जिसकी वजह से ये शहर कोरोना से बुरी तरह तबाह हो गया. हालांकि, रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रधानमंत्री से रोम स्थित उनके दफ्तर में गवाह के तौर पर पूछताछ की गई. फिलहाल प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई आपराधिक जांच शुरू नहीं की गई है.
जांचकर्ताओं ने इटली की इंटेरिअर मिनिस्टर लुसिआना लमोर्गीज और स्वास्थ्य मंत्री रॉबर्टो स्परंजा से भी पूछताछ की है. इससे पहले प्रधानमंत्री गिउसेप्पे कोन्टे ने स्थानीय मीडिया को दिए इंटरव्यू में कहा था कि वे जांचकर्ताओं को सभी बारीक जानकारी उपलब्ध कराना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि वे इस बात को लेकर चिंता में नहीं हैं कि उनके खिलाफ भी जांच की जा सकती है.
बर्गामो इटली के लॉम्बार्डी क्षेत्र में स्थित है जहां गिउसेप्पे कोन्टे की विरोधी 'लीग पार्टी' सत्ता में है. लीग पार्टी के नेता मैट्टिओ साल्विनी ने ट्वीट करके प्रधानमंत्री की आलोचना की है.
मैट्टिओ साल्विनी ने ट्वीट करके कहा कि बर्गामो को रेड
जोन घोषित करके सील नहीं करने का फैसला 'रोम' की ओर से लिया गया था.
उन्होंने लिखा कि अब प्रधानमंत्री गिउसेप्पे कोन्टे को कम से कम मृत लोगों
के परिजनों से माफी मांग लेनी चाहिए.