झारखंड से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है जहां एक हाथी का गुस्सा लोगों पर भारी पड़ गया. रामगढ़ में एक गजराज का गुस्सा किसानों पर भी कहर बनकर टूटा. दरअसल, जंगली हाथी ने 48 घटों के अंदर दो लोगों को पीट पीट कर घायल कर दिया. ग्रमीणों ने उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया जहां उनकी मौत हो गई.
ये मामला झारखंड के रामगढ़ स्थित गोला वन क्षेत्र के ऊपरबरगा पंचायत का है. जहां जंगली हाथी के हमले में रमेश मुर्मू नामक युवक गंभीर रूप से घायल हो गया. आननफानन में उसे इलाज के लिए सीएचसी गोला लाया गया. यहां से प्राथमिक उपचार के बाद उसे रिम्स अस्पताल भेज दिया गया लेकिन इलाज के दौरान वहां युवक की मौत हो गई.
जानकारी के मुताबिक सोमवार सुबह के समय रमेश जंगल के पास अपना खेत पर गया. लौटते समय अचानक एक गुस्साये हाथी ने उसपर हमला कर दिया. हाथी के हमले से घायल युवक जोर-जोर से चीखने लगा जिसको देख पास में काम कर रहे लोगों ने हल्लगुल्ला करना शुरू किया जिससे डर कर हाथी जंगल में चला गया.
वहीं, गोला वन क्षेत्र के जयंती बेड़ा गांव के रहने वाले सुलेमान अंसारी को हाथी ने पटक-पटक कर घायल कर दिया. उस वक्त वह अपने भेड़ों को चराने के लिए गया हुआ है. जिसके बाद दोनों को इलाके के अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन उनकी हालात देखते हुए उन्हें रिम्स अस्पताल रेफर कर दिया गया. जहां उनकी मौत हो गई.
जेएमएम नेता जीतलाल टुडू ने वन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि गोला वन क्षेत्र में हाथियों का उत्पात लगातार जारी रहता है. इनकी वजह से हर साल जान माल की भारी क्षति होती है. वन विभाग से ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए फ्लैश लाईट टार्च, पटाखों की समुचित व्यवस्था नहीं की जाती है और इसके अभाव में जंगली हाथियों के हमले का शिकार होते रहते हैं. गांव के लोग हाथियों से डरे सहमे हैं.
प्रत्यक्षदर्शी ग्रामिणों का कहना है कि जंगली हाथियों के हमले इस इलाके में कई दशकों से जारी है. सभी ग्रामीण जंगली हाथियों के डर से शाम होते ही अपने अपने घरों में दुबक जाते हैं. उन्होंने बताया कि रमेश को हाथी ने अपनी सूढ़ से पटक दिया जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया था. इस मामले पर वन विभाग के फोरेस्टर सुल्तान अंसारी ने बताया कि हाथी ने दो लोगों को मार डाला है. सरकार की ओर से मृतक के परिजनों को चार-चार लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा.
ग्रामिणों का कहना है कि ग्रामीण हाथियों के इलाके में विचरण से काफी डारे हुए हैं. जब किसान खेतों में धान और मकई लगाते हैं तो हाथी इसे खाने के लिए पहुंच जाते हैं. जिसकी वजह से कभी कभी ग्रामीण हाथियों के गुस्से का शिकार बन जाते हैं. ग्रामीण वन विभाग से हाथियों से सुरक्षा की बराबर मांग करते रहे हैं लेकिन वन विभाग ग्रामिण की सुरक्षा करने में नाकाम साबित हो रहे हैं.