दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी कैंपस में बीते रविवार को हुई हिंसा के मामले में अब नए-नए खुलासे हो रहे हैं. जो जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक जेएनयू में हिंसा करने के लिए नकाबपोश बदमाश कोड वर्ड का इस्तेमाल कर रहे थे.
रिपोर्ट के मुताबिक जेएनयू में एबीवीपी और लेफ्ट विंग के छात्रों के बीच पिछले 2-3 दिनों से तनाव चल रहा था लेकिन जब लेफ्ट विंग के छात्रों ने रजिस्ट्रेशन सर्वर को नुकसान पहुंचाया तो दोनों छात्र गुटों में तनाव और ज्यादा बढ़ गया और झगड़ा शुरू हो गया.
पेरियार हॉस्टल में रविवार की शाम करीब 4 बजे दोनों गुटों में झगड़े और तनाव के बाद मामला बढ़ता चला गया. परिसर में तनाव को देखते हुए करीब 10 पुलिसकर्मी सादा वर्दी में तैनात थे, जिससे छात्रों की हाथापाई भी हुई और उसके बाद पीसीआर को बुलाया गया.
उस वक्त तनातनी थोड़ी कम हो गई लेकिन कहा जा रहा है कि छात्रों के कुछ गुटों ने उसके बाद व्हाट्सएप ग्रुप बनाये और बदला लेने की योजना बनाई गई. फिर बाहर से लोगों को बुलाया गया और उन्हें एक कोड वर्ड दिया गया ताकि हमलवार अपने गुट के लोगों की पहचान कर पाएं और उन्हें न पीटें. जो छात्र हमलावरों के सामने दिए गए कोड वर्ड को बोल पाए वो बच गए और जो नहीं बोल पाए उनकी पिटाई होने लगी.
शाम के करीब 6.30 बजे लाठी-डंडों से लैस नकाबपोश भीड़ ने हॉस्टल में रह रहे छात्रों पर हमला कर दिया. उस समय कैंपस में अंधेरा था इसलिए कौन राइट विंग का है और कौन लेफ्ट विंग का यह पहचान पाना मुश्किल हो गया था. इसलिए कोड वर्ड के जरिये हमलावरों ने किसे पीटना है और किसे नहीं पीटना है, उसे पहचाना और पिटाई शुरू कर दी.
करीब रात के 8 बजे जेएनयू वीसी की आज्ञा लेकर पुलिस अंदर पहुंची लेकिन तब तक हमलवार भाग गए थे. बताया जा रहा है कि हमलावरों में कुछ जेनएयू के छात्र भी शामिल हैं और कुल लोग बाहर से आए थे.
बता दें कि जहां-जहां हिंसा हुई वहां कोई सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ नहीं था. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच फिलहाल इस मामले की जांच कर रही है और कुछ हमलावरों की पहचान भी कर ली गई है.