अमिताभ बच्चन गेम शो 'कौन बनेगा करोड़पति के नए सीजन से 3 साल बाद टीवी पर वापसी कर रहे हैं. यह इस गेम शो का नौवां सीजन होगा. इसके रजिस्ट्रेशन 17 जून से शुरू होगे.
गौरतलब है कि शो के पहले सीजन की शुरुआत साल 2000 में हुई थी. इस शो के बाद से ही टीवी में रियलिटी शो की बाढ़ आ गई थी. लेकिन क्या आप जानते है कि गेम शो न सिर्फ आम जनता को करोड़पति बनाया बल्कि खुद अमिताभ बच्चन को भी दिवालिया होने से बचाया.
इस बात का खुलासा बिग बी ने अपने ब्लॉग पर किया था. दरअसल 1996 में अमिताभ बच्चन ने ‘अमिताभ बच्चन कॉरपोरेशन लिमिटेड’ की शुरुआत की थी. लेकिन इस बैनर की पहली फिल्म गुलाबी बुरी तरह पिट गई.
इसी दौरान बच्चन की कंपनी ने बेंगलुरु में हुए मिस इंडिया ब्यूटी कॉन्टेस्ट के इवेंट मैनेजमेंट का जिम्मा लिया और करोड़ो रुपए खर्च किए गए. लेकिन इस इवेंट से कोई कमाई नहीं हो पाई.
इसके चलते बिग बी के ऊपर कर्ज का बोझ बढ़ गया था और वह लोगों को बकाया नहीं चुका पाए थे. यही नहीं उनकी कंपनी के खिलाफ कानूनी मुकदमे भी चले है. यहां तक बैंक ने लॉन वसूली के लिए उन्हें ढेर सारे नोटिस भेजे थे और अमिताभ को अपना बंगला ‘प्रतीक्षा’तक गिरवी रखना पड़ा था.
इसके बाद करीब 14 मिलियन डालर के कर्ज में डूबी एबीसीएल को " बीमार" घोषित कर दिया गया. संकट के इस दौर में बच्चन अपने दर पर आने वाले किसी काम को नहीं ठुकराया. अमिताभ ने घरवालों की नाराजगी की परवाह किए बगैर केबीसी को होस्ट बनने का फैसला किया.
गौरतलब हैं कि बच्चन को पहले 'के बी सी' के 85 एपिसोड के लिए करीब 15 करोड़ रुपये मिले. यही नहीं एक नामी इंटरनेशनल बैंक ने बच्चन के साथ 10 करोड़ रूपये का करार किया था.
केबीसी के अलावा अमिताभ ने इस आर्थिक तंगी के दौरान डायरेक्टर यश चोपड़ा से मदद मांगी. यश चोपड़ा ने उन्हें 'मोहब्बतें' में नारायण शंकर का रोल दे दिया. 'केबीसी' के साथ-साथ इस फिल्म को भी अमिताभ की लाइफ का टर्निंग प्वॉइंट माना जाता है.
आर्थिक तंगी के अलावा केबीसी की शूटिंग के वक्त अमिताभ टीबी की बीमारी से भी जूझ रहे थे. एक इंटरव्यू में अमिताभ ने बताया कि शो के पहले दिन से मुझे टीबी था. मेरा लगभग एक साल तक इलाज चला था.
अमिताभ के मुताबिक ये रीढ़ की हड्डी का टीबी था. ऐसे में ज्यादातर समय मुझसे बिल्कुल भी बैठा नहीं जाता था. शूटिंग के दौरान मैं 8 से 10 पेन किलर रोजाना खाया करता था. इसी के बाद मैंने लोगों को टीबी की बीमारी के लिए जागरूक करने की ठानी.