सिर का घाव और खून जम गया था. कमरे में रोशनी पर्याप्त नहीं थी, इसलिए मैं सिवादासन की तरफ झुका. ताकि उनके पीछे दीवार पर लगे लाइट स्विच को दबा सकूं. तभी मुझे सिवादासन की आवाज सुनाई पड़ी. मैंने दो बार कान लगाकर सुना तो वो वैसी आवाज थी जैसी लोग सोते समय लेते हैं. मैं एकदम से पुलिस वालों की तरफ दौड़ पड़ा कि ये आदमी जिंदा है. (फोटोः गेटी)