दुनियाभर में कोरोना का कहर जारी है. इसी बीच उत्तर कोरिया में कोरोना का पहला संदिग्ध मामला सामने आ गया है. देश में कोरोना का ऐसा पहला केस सामने आते ही उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन ने आपातकाल घोषित कर दिया.
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'रॉयटर्स' ने स्थानीय मीडिया का हवाला देते हुए एक रिपोर्ट में बताया
कि उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने अवैध रूप से सीमा पार करने के बाद
दक्षिण कोरिया से लौटे एक कोविड संदिग्ध की जानकारी सामने बाद आपातकालीन पोलित ब्यूरो की
बैठक बुलाई और आपातकाल की घोषणा कर दी.
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रिपोर्ट के
मुताबिक अगर इस मामले की पुष्टि हो जाती है तो यह उत्तर कोरियाई अधिकारियों
द्वारा आधिकारिक तौर पर स्वीकार किए जाने वाला कोरोना वायरस का पहला मामला
होगा.
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उत्तर कोरिया की कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (KCNA) ने
बताया कि एक व्यक्ति जो तीन साल पहले दक्षिण कोरिया गया था, वह इसी महीने
सीमा पार से लौट आया है. उसी में COVID-19 के ऐसे लक्षण पाए गए हैं.
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हालांकि,
KCNA ने यह नहीं बताया कि क्या उस व्यक्ति का कोरोना टेस्ट किया जा चुका
है, लेकिन कहा कि उस व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ हुई है और रक्त स्राव
भी हुआ है. हालांकि यह बताया गया कि उसका मेडिकल चेक-अप जरूर किया गया है.
फिलहाल वह देखरेख में है.
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उत्तर कोरिया के क्युंगही
विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर ने बताया कि यह घोषणा करना काफी महत्वपूर्ण
है, न केवल इसलिए कि उत्तर कोरिया पहली बार एक संदिग्ध कोरोनो वायरस मामले
के बारे में बता रहा है बल्कि इससे एक प्रकार की मदद की अपील हो रही है.
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बता
दें कि उत्तर कोरिया ने शुरुआत में ही अपने देश की सभी सीमाओं को सील कर
दिया था. इसके अलावा उसने विदेशी पर्यटकों के आनेजाने पर प्रतिबंध लगा दिया
था. अप्रैल-मई माह में हजारों लोगों को शक के आधार पर क्वारनटीन किया गया
था.
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एक तथ्य यह भी है कि अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर
अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण उत्तर कोरिया भारी आर्थिक दबाव में है.
और इसी बीच कोरोना का मामला सामने आने के बाद आर्थिक दबाव और बढ़ गया है.
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इधर
हाल ही में कोरोना संकट के बीच भारत ने उत्तर कोरिया को मदद पहुंचाई है.
भारत ने उत्तर कोरिया को टीबी की दवा के रूप में 10 लाख डॉलर की मेडिकल
सहायता भेजने का फैसला किया है. भारत ने यह सहायता विश्व स्वास्थ्य संगठन
के अनुरोध के बाद की है.
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भारतीय विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को इसकी
जानकारी दी है. मंत्रालय ने बताया है कि भारत, उत्तर कोरिया में मेडिकल
सामग्री की कमी और वहां के हालात के प्रति संवेदनशील है और उसने टीबी की
दवा के रूप में 10 लाख डॉलर की मानवीय सहायता प्रदान करने का फैसला लिया.