'कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों', आपने ये कहावत तो जरूर सुनी होगी लेकिन इसे सच कर दिखाया है एक मजदूर के बेटे ने जो अब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में वैज्ञानिक बन गया है. (इनपुट - नीतिन शिंदे)
खेत में मजदूरी करने वाले मां-बाप के इकलौते बेटे ने वो कर दिखाया जिसकी कल्पना उसके जन्मदाता ने भी नहीं की थी. पंढरपुर के सोमनाथ माली इसरो (ISRO) में चुने जाने वाले महाराष्ट्र के एकमात्र छात्र हैं.
सोमनाथ नंदू माली पंढरपुर तहसील के सरकोली के रहने वाले हैं और उन्होंने अपनी शिक्षा ग्रामीण क्षेत्र के एक स्कूल में पूरी की है. सरकारी स्कूल से इसरो तक का सफर बेहद कठिन परिस्थितियों में तय किया है.
अपने बेटे सोमनाथ को पढ़ाने के लिए उसके मां-बाप ने खेतों में मजदूरी की. सोमनाथ हाल ही में केरल के तिरुवनंतपुरम में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में एक वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में चुने गए हैं. महाराष्ट्र से इस अंतरिक्ष केंद्र के लिए चयनित होने वाले वो इकलौते प्रतिभागी हैं.
सोमनाथ नंदू माली की शिक्षा की बात करें तो उन्होंने प्राइमरी स्कूल से 7वीं और सेकेंडरी स्कूल से 10वीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद 11वीं में पंढरपुर स्थित केबीपी कॉलेज में प्रवेश लिया. 2011 में 81 फीसदी अंकों के साथ बारहवीं कक्षा पास करने के बाद सोमनाथ बी.टेक के लिए मुंबई चले गए.