झारखंड के गिरिडीह जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोलता हुआ और लाचार स्वास्थ्य सिस्टम को उजागर करता हुआ मामला सामने आया जहां उचित समय पर इलाज न मिल पाने के अभाव में एक आदिवासी महिला और उसके नवजात शिशु की मौत हो गई. (गिरिडीह से सूरज सिन्हा की रिपोर्ट)
गिरिडीह जिले की तिसरी प्रखंड के सुनील मरांडी की पत्नी सुरजी मरांडी को प्रसव पीड़ा हुई, लेकिन तिसरी में स्वास्थ्य व्यवस्था की कमी के कारण सुरजी के परिजन उसे खाट पर सुला कर पैदल ही गावां सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र ले आए.
यहां तो स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई मिली. जब सुरजी को अस्पताल लाया गया तो यहां एक भी डॉक्टर उपस्थित नहीं था और इलाज के अभाव में अस्पताल के गेट के पास ही महिला व नवजात की मौत हो गई.
सुरजी जिस गांव में रहती है वहां आवागमन का कोई साधन नहीं होने के कारण परिजन खाट पर ही उसको अस्पताल ले जाने लगे और रास्ते में ही उसने बच्चे को जन्म दिया.
इधर अस्पताल के डॉक्टर घटना के बाद अपनी खामियों पर पर्दा डालते दिखे. डॉक्टर अरविंद कुमार का कहना है कि वो गिरिडीह सदर अस्पताल गए हुए थे और एक अन्य डॉक्टर दुर्भाग्यवश उस वक्त अस्पताल में मौजूद नहीं थे. जब वो यहां आए तो महिला की मौत हो चुकी थी. उन्होंने बताया कि सम्बंधित डॉक्टर को फोन किया गया लेकिन वो फोन नहीं उठा पाए. इसके बाद वॉट्सएप ग्रुप पर सूचना डाली गई.