लद्दाख में पैंगोंग झील के किनारे फिंगर 4 और फिंगर 8 के बीच विवादित क्षेत्र में चीनी सेना की घुसपैठ बीते कुछ हफ्तों से भारत और चीन के बीच गतिरोध का केंद्र बिंदु रहा है. भारत के सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री की बीतचीत के बाद तनाव घटाने पर सहमति बनी. इसके बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भी अब नरमी दिख रही है.
इंडिया टुडे द्वारा समीक्षा की गई नई सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने फिंगर 4 एरिया से आंशिक वापसी शुरू कर दी है. उपग्रह स्काईसैट द्वारा शुक्रवार को ली गई तस्वीरों से पुष्टि होती है कि पैंगोंग त्सो के आसपास के क्षेत्रों से चीनी सैनिक पीछे हट रहे हैं.
वहीं फिंगर 4 की शीर्ष रिगलाइन पर कब्जा करने वाले चीन के छोटे-छोटे शिविरों की संख्या कम हो गई है, इन तस्वीरों में ऐसी संरचनाओं की एक महत्वपूर्ण संख्या अभी भी दिखाई दे रही है. फिंगर 4 और फिंगर 5 क्षेत्रों के बीच पीएलए शिविरों में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन नहीं देखा गया है जबकि कुछ चीनी टेंटों से तिरपाल हटा दिए गए हैं, उनकी स्थिति समान है.
भारतीय और चीनी पक्षों के बीच कोर कमांडर-स्तरीय बैठक का अगला दौर पैंगोंग त्सो क्षेत्र में तनाव को और कम करने पर केंद्रित होगा. हालांकि यहां दोनों देशों ने पहले ही सैनिकों को पीछे खींच लिया है. गलवान नदी घाटी में एक बफर जोन बनाया गया है.
लंबे गतिरोध के बाद भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच सहमति की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ये कदम उठाए गए हैं. सरकारी सूत्रों ने कहा है कि दोनों पक्षों ने अगले हफ्ते की शुरुआत में एलएसी के साथ अपने पीछे के ठिकानों में दोनों पक्षों द्वारा सैनिकों को हटाने के लिए तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने के लिए कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता के चौथे दौर के आयोजन की योजना बनाई है.
सरकारी सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों ने अस्थायी उपाय के तहत गलवान वैली, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स के तीन विवादित बिंदुओं में तीन किलोमीटर का बफर क्षेत्र बनाया है. सूत्रों ने पुष्टि की है कि सैनिकों ने पैंगोंग त्सो में फिंगर 4 क्षेत्र से पुलबैक प्रक्रिया शुरू की है.