दूल्हे के पिता महबूब ने कहा कि उन्होंने सभी हेल्पलाइन नंबरों पर संपर्क किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. ऐसी स्थितियों में हम दुल्हन के घर पर रहने के लिए मजबूर थे. यह लड़की के परिवार पर एक अतिरिक्त बोझ था और हम जितना योगदान दे सकते थे, उतना हमने किया. दो दिन पहले हमने फिर से वरिष्ठ जिला अधिकारियों से संपर्क किया, जिन्होंने हमें यात्रा पास दिए और गांव के लोगों ने चंदा इकट्ठा कर मिनी बस की व्यवस्था की.
(Photo Aajtak)