मध्य प्रदेश से प्रवासी मजदूरों की घर वापसी की एक मार्मिक तस्वीर सामने आई है, जिसमें एक मजबूर पिता 800 किमी दूर से अपनी नन्ही बेटी को हाथ से बनी गाड़ी पर खींचकर लाता दिख रहा है. गाड़ी के आगे उसकी गर्भवती पत्नी चल रही है.
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मध्य प्रदेश की बालाघाट सीमा पर मंगलवार दोपहर को एक मार्मिक दृश्य देखने को मिला. हैदराबाद में नौकरी करने वाला रामू नाम का शख्स 800 किलोमीटर का सफर अपनी गर्भवती पत्नी और दो साल की बेटी के साथ पूरा कर बालाघाट में आया.
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दरअसल, हैदराबाद में रामू को जब काम मिलना बंद हो गया तो वापसी के लिए उसने कई लोगों से मिन्नतें कीं. लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई. तब उसने पैदल ही घर लौटने का इरादा किया.
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कुछ दूर तक तो रामू अपनी दो साल की बेटी को गोद में उठाकर चलता रहा और उसकी गर्भवती पत्नी सामान उठाकर. लेकिन यह कोई 10-15 किमी का नहीं बल्कि 800 किलोमीटर का सफर था.
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तब रामू ने रास्ते में ही बांस बल्लियों से सड़क पर खिसकने वाली गाड़ी बनाई. उस गाड़ी पर सामान रखा और दो साल की बेटी को उसपर बैठाया. बेटी के पैरों में चप्पल तक नहीं थी. फिर उस गाड़ी को रस्सी से बांधा और उसे खींचते हुए 800 किलोमीटर का सफर 17 दिन में पैदल तय किया.
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बालाघाट की रजेगांव सीमा पर जब वह पहुंचे तो वहां मौजूद पुलिसवालों के कलेजे भी हिल गए. उन्होंने बच्ची को बिस्किट और चप्पल लाकर दी और एक निजी गाड़ी का बंदोबस्त किया और उसे गांव तक भेजा.
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लांजी के एसडीओपी नितेश भार्गव ने इस बारे में बताया कि हमें बालाघाट की सीमा पर एक मजदूर मिला जो अपनी पत्नी धनवंती के साथ हैदराबाद से पैदल आ रहा था. साथ में दो साल की बेटी थी जिसे वह हाथ की बनी गाड़ी से खींचकर यहां तक लाया था. हमने पहले बच्ची को बिस्किट दिए और फिर उसे चप्पल लाकर दी. फिर निजी वाहन से उसे उसके गांव भेजा.