गौरतलब है कि, 1980 से पूर्व भारतीय प्रजाति के घड़ियालों का सर्वे हुआ था, जिसमें चंबल नदी में केवल 40 घड़ियाल मिले थे. जबकि 1980 में इनकी संख्या 435 हो गई थी. तभी से इस इलाके को घड़ियाल अभ्यारण क्षेत्र घोषित किया गया था और इनके संवर्धन (पालन-पोषण ) के लिए सरकार ने कई प्रयास किए. देवरी केंद्र पर हर साल 200 अंडे रखे जाते हैं, जो नदी के विभिन्न घाटों से लाए जाते हैं. वहां इनकी हैचिंग होती है. जबकि धौलपुर रेंज में शंकरपुरा, अंडवापुरैनी, हरिगिर बाबा आदि घाटों पर घड़ियाल हजारों अंडे देते हैं और अब अंडों से बच्चे निकल चुके हैं.