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'मैं जिंदा हूं', 2 साल से ये साबित करने में जुटी है महिला, मान नहीं रहे अफसर

'मैं जिंदा हूं', 2 साल से ये साबित करने में जुटी है महिला, मान नहीं रहे अफसर
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आपने फिल्म जॉली एलएलबी-2 का एक सीन जरूर देखा होगा, जिसमें एक शख्स को दस्तावेजों में मरा हुआ घोषित कर दिया जाता है. इसके बाद वो शख्स खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटता है. कुछ ऐसा ही हुआ है मध्य प्रदेश के रतलाम शहर में, जहां एक महिला खुद को जिंदा साबित करने की जद्दोजहद में दफ्तरों के चक्कर काट रही है.
'मैं जिंदा हूं', 2 साल से ये साबित करने में जुटी है महिला, मान नहीं रहे अफसर
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दरअसल, रतलाम में एक महिला खुद को जिंदा साबित करने के लिए बीते दो वर्षों से सरकारी बाबुओं और दफ्तरों के चक्कर काट रही है, लेकिन उसकी तकलीफों को कोई नहीं सुन रहा है. पीड़िता का नाम रेखा है और वो रतलाम के खातीपुरा की रहने वाली है.
'मैं जिंदा हूं', 2 साल से ये साबित करने में जुटी है महिला, मान नहीं रहे अफसर
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रेखा के पति की दो साल पहले मौत गई थी, जिसके बाद पीड़ित महिला जब विधवा पेंशन के लिए आवेदन करने नगर निगम के दफ्तर पहुंची, तो वहां दस्तावेजों में पति के साथ ही उसे भी मृत घोषित कर दिया गया था.
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विधवा पेंशन के लिए रेखा बीते दो वर्षों से खुद को जिंदा साबित करने और दस्तावेज को सही कराने के लिए अलग-अलग अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काट रही है, लेकिन उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है. पीड़िता ने कहा कि वो सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाकर अब थक चुकी है.
'मैं जिंदा हूं', 2 साल से ये साबित करने में जुटी है महिला, मान नहीं रहे अफसर
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कहीं से मदद नहीं मिलने के बाद रेखा ने जिलाधिकारी की जनसुनवाई में अपनी शिकायत दर्ज करवाई, जिसके बाद जिम्मेदार अधिकारियों ने उसे दस्तावेजों में जिंदा दिखाने और उसे ठीक करने के लिए 15 दिनों का समय मांगा.
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