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मराठा पावर सेंटर था 'शनिवार वाड़ा', उद्धव के शपथ मंच के मायने

मराठा पावर सेंटर था 'शनिवार वाड़ा', उद्धव के शपथ मंच के मायने
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महाराष्ट्र में गुरुवार को नई सरकार का गठन होने जा रहा है. विधानसभा चुनाव के बाद एक साथ आने वाली एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना की गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे आज शाम को शपथ लेंगे. मुंबई के शिवाजी पार्क में होने वाले इस समारोह में इसके ल‍िए जो भव्य स्टेज बनाया जा रहा है, वह मराठाओं के शक्त‍ि केंद्र शन‍िवार वाड़ा की प्रत‍िकृत‍ि है.
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मराठा साम्राज्य के पेशवा बाजीराव ने शन‍िवार वाड़ा का न‍िर्माण करावाया था जो उस समय मराठा शासक छत्रपत‍ि शाहू के प्रधान पेशवा थे. 
मराठा पावर सेंटर था 'शनिवार वाड़ा', उद्धव के शपथ मंच के मायने
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शन‍िवार वाड़ा का न‍िर्माण 10 जनवरी 1730 से शुरू हुआ और 22 जनवरी 1732 में काम पूरा हुआ. हालांक‍ि उसके बाद भी इसमें कुछ नए न‍िर्माण और बदलाव होते रहे. शन‍िवार वाड़ा अपने वर्तमान रूप में 1760 ईस्वी तक आ चुका था.
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शनिवार वाड़ा में आग लगने की घटनाएं भी हुईं. 1808, 1812, 1813 में इसमें छोटी-मोटी आग लगी. 1828 में शन‍िवार वाड़ा में एक बड़ी आग लगी ज‍िसमें कई सारी इमारतें जल गईं.  पेशवा का दरबार यहीं लगता था. यहीं पर सारे राजनीत‍ि के दांवपेंच रचे जाते थे.
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पहले पेशवा बालाजी व‍िश्वनाथ थे जिनका शासनकाल 1714 से 1720 तक था. उसके बाद बाजीराव प्रथम पेशवा बने ज‍िनका कार्यकाल 1720 से 1740 रहा. इन पर ही फ‍िल्म बाजीराव मस्तानी बनी है ज‍िनके समय मराठाओं की सत्ता द‍िल्ली की मुगल‍िया सल्तनत को  चुनौती देने लगी थी. इन्हीं के शासनकाल में शन‍िवार वाड़ा का न‍िर्माण शुरू हुआ.
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इनके बाद बालाजी बाजीराव उर्फ नाना साहेब पेशवा बने. इनका शासनकाल 1740 से 1761 तक रहा. इनके समय में मुगल‍िया सल्तनत स‍िर्फ नाम भर की रह गई थी. पूरे भारतवर्ष में उस समय मराठाओं की तूती बोलती थी. द‍िल्ली के शासक नाम भर के थे. इनके समय में ही पानीपत का तीसरा युद्ध हुआ था ज‍िस पर अभी एक फ‍िल्म भी आने वाली है. पानीपत युद्ध की हार न सहन कर पाने के कारण नाना साहेब पेशवा की मौत हुई. 
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नाना साहेब की मौत के बाद माधवराव बल्लाल ऊर्फ थोरले माधवराव पेशवा बने. इनका शासनकाल 1761 से 1772 रहा. इनके समय में मराठाओं का पतन शुरू हो गया.
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माधवराव के बाद मृत्यु के बाद उनके छोटे भाई नारायणराव पेशवा बने. इनका शासनकाल दो साल ही रहा. नारायणराव की उनके चाचा रघुनाथराव ने हत्या करवा दी और 1774 में खुद पेशवा बन गए. लेक‍िन वह भी ज्यादा समय तक पेशवा नहीं रहे.  1774 में ही सवाई माधवराव पेशवा बने. इनका शासनकाल दो साल रहा.

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सन् 1776 में बाजीराव द्वि‍तीय पेशवा बने. इनका शासनकाल 1796 से 1818  तक रहा. अंतिम आंग्ल-मराठा युद्ध में अंगरेजों ने बाजीराव को संधि के लिये व‍िवश कर द‍िया जिससे उन्हें मराठा संघ पर अपना राज्य अधिकार छोड़ना पड़ा.  बाजीराव, अंग्रेजों से पेंशन ग्रहण कर विठूर (उत्तर प्रदेश) में जाकर बस गए जहां उनका 1851 में न‍िधन हुआ. 
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इनके बाद नाना साहेब द्वि‍तीय पेशवा बने लेक‍िन वह कभी स‍िंहासन पर नहीं बैठ पाए. इनके समय में ही 1857 में भारत का प्रथम स्वत्रंतता संग्राम हुआ था. 
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