अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी का अंतरिक्षयान मंगल ग्रह की सतह पर आज यानी 18 फरवरी की देर रात लैंड करेगा. मंगल ग्रह तक पहुंचने में नासा के पर्सिवरेंस मार्स रोवर (NASA Perseverance Rover) को अच्छी खासी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ सकता है. ये दिक्कतें ऐसी हैं, जिनमें से कुछ पर्सिवरेंस रोवर को खुद ही निपटना होगा, लेकिन मंगल ग्रह पर उसका बड़ा भाई पहले से तैनात है. जो उसे मंगल ग्रह की सबसे बड़ी समस्या से बचाएगा. आइए जानते हैं कि पर्सिवरेंस को क्या-क्या दिक्कतें आने वाली हैं? और उसका बड़ा भाई उसे कौन सी दिक्कत से बचाएगा? (फोटोःNASA)
मंगल ग्रह पर उतरने से आधे घंटे पहले तक पर्सिवरेंस मार्स रोवर (NASA Perseverance Mars Rover) की गति करीब 80 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा होगी. इसे 30 मिनट में कम करके इस स्तर पर लाना होगा जिससे वह तेजी से मंगल ग्रह पर न गिरे. यह पहली दिक्कत है. दूसरी सबसे बड़ी दिक्कत है गर्मी. (फोटोः NASA)
मंगल ग्रह के वायुमंडल में प्रवेश करते ही पर्सिवरेंस मार्स रोवर (NASA Perseverance Mars Rover) को घर्षण की वजह से 1000 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान बर्दाश्त करना होगा. इसके अलावा वह मंगल के जिस गड्ढे में उतर रहा है, उसे जेजेरो क्रेटर (Jezero Crater) कहते हैं. (फोटोः NASA)
जेजेरो क्रेटर (Jezero Crater) में गहरी घाटियां, तीखे पहाड़, नुकीले क्लिफ, रेत के टीले और पत्थरों का समुद्र है. ऐसे में पर्सिवरेंस मार्स रोवर (Perseverance Mars Rover) की लैंडिंग कितनी सफल होगी इस पर दुनिया भर के साइंटिस्ट्स की निगाहें टिकी हुई हैं. (फोटोः गेटी)
अब आते हैं उस बड़े भाई की तरफ जो लाल ग्रह यानी अपने मंगल पर पर्सिवरेंस मार्स रोवर (NASA Perseverance Mars Rover) का इंतजार कर रहा है. इस बड़े भाई का नाम है मार्स इनसाइट (Mars Insight). यह नासा का एक रोवर है, जिसे अमेरिका ने नवंबर 2018 में मंगल की सतह पर पहुंचाया था. (फोटोःगेटी)
मार्स इनसाइट (Mars Insight) का एक ही काम है, वह है मंगल की सतह और गर्भ में आने वाले भूकंपों की जानकारी देना. नवबंर 2018 के बाद से ये लगातार सिर्फ मंगल ग्रह पर आ रहे भूकंपों की जानकारी जमा करके नासा को भेज रहा है. जब पर्सिवरेंस मार्स रोवर मंगल की सतह पर उतरेगा, उस समय इनसाइट नासा और पर्सिवरेंस दोनों को ये बताएगा कि उसकी लैंडिंग साइट पर कोई भूकंप तो नहीं आने वाला. (फोटोःगेटी)
जैसे धरती पर आने वाले भूकंप को अर्थक्वेक (Earthquake) कहते हैं, वैसे ही मंगल पर आने वाले भूकंप को मार्सक्वेक (Marsquake) कहते हैं. साल 2019 में मार्स इनसाइट की टीम ने पहली बार दुनिया को बताया था कि मंगल ग्रह पर भी भूकंप आते हैं. हालांकि ये भूकंप धरती के भूकंप से थोड़े अलग होते हैं, ये किस प्रकार के होते हैं ये अब भी रहस्य ही है. (फोटोःगेटी)
धरती पर भूकंप को मापने के लिए हजारों केंद्र बनाए गए हैं. मंगल ग्रह पर तो एक ही केंद्र हैं. जिसे मार्स इनसाइट कहते हैं. इसलिए वहां पर भूकंप का पता करना ज्यादा कठिन है. हाल ही में इनसाइट ने मंगल पर अपना पहला जन्मदिन मनाया है. वह भी पूरे दो साल बाद क्योंकि मंगल का एक दिन धरती के दो दिन के बराबर होता है. यानी करीब 687 धरती के दिन. (फोटोःगेटी)
इस दौरान इनसाइट ने मंगल ग्रह पर भूकंप की सैकड़ों गतिविधियों को दर्ज किया है. लेकिन यह नहीं बता पाया कि ये भूकंप कहां, कितनी गहराई में या कितनी तीव्रता का था. लेकिन पर्सिवरेंस मार्स रोवर (NASA Perseverance Mars Rover) की लैंडिंग के दौरान इनसाइट अपना काम करेगा. जैसे ही पर्सिवरेंस मंगल की सतह पर उतरेगा, इनसाइट की जमीन में हुए कंपन से पता चल जाएगा कि भाई सुरक्षित लैंड कर गया है. (फोटोःगेटी)
जब भी कोई यान किसी सतह पर लैंड करता है तो तीन तरह की भूकंपीय गतिविधियां होती हैं. पहली- अचानक से अगर यान की गति धीमी की जाए तो उससे सोनिक बूम होगा. इससे निकलने वाली शॉकवेव से भूकंपीय गतिविधि होगी. दूसरी- यही सोनिक बूम को अगर वायुमंडल अपने में सोख ले तो भी काफी दूरी तक कंपन पैदा कर देगा. तीसरी- जो सबसे प्रमुख है. (फोटोःगेटी)
तीसरी- भूकंपीय गतिविधि लैंडिंग सिक्वेंस के दौरान तब हो सकती है, जब पर्सिवरेंस दो भारी रोवर को नीचे उतारेगा. इसे वह क्रूज मास बैलेंस डिवाइस (CMBDs) के जरिए नियंत्रित करेगा. इस समय इस समय इसकी गति करीब 1000 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी. इसके जेट इंजन की वजह से मंगल ग्रह की सतह पर गड्ढा भी बन सकता है. इससे भी भूंकपीय गतिविधि होगी. (फोटोः NASA)
अगर पर्सिवरेंस मार्स रोवर (NASA Perseverance Mars Rover) की लैंडिंग से मंगल की सतह पर गड्ढा हुआ तो भी उसकी लैंडिंग साइट से 3000 किलोमीटर दूर बैठे बड़े भाई इनसाइट को खबर मिल जाएगी कि लैंडिंग हो चुकी है. अब नासा के साइंटिस्ट्स को इसी बात की चिंता है कि पर्सिवरेंस मार्स रोवर (NASA Perseverance Mars Rover) सुरक्षित लाल ग्रह की सतह तक पहुंच जाए. (फोटोःगेटी)