धरती के वायुमंडल में मीथेन गैस के स्तर की जांच करने के लिए अगले साल एक सैटेलाइट लॉन्च किया जाएगा. इस सैटेलाइट को छोड़ने का जिम्मा एलन मस्क (Elon Musk) की कंपनी स्पेसएक्स (SpaceX) को दिया जा रहा है. इस सैटेलाइट को अंतरराष्ट्रीय संस्था एनवॉयरॉनमेंटल डिफेंस फंड (Environmental Defense Fund - EDF) बना रही है. (फोटोःईडीएफ)
EDF ने अपने सैटेलाइट मीथेनसैट (MethaneSAT) को लॉन्च करने के लिए स्पेसएक्स (SpaceX) को चुना है. इस सैटेलाइट को 1 अक्टूबर 2022 में लॉन्च करने का प्लान है. इसे स्पेसएक्स (SpaceX) के फॉल्कन-9 रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा. इस सैटेलाइट के जरिए यह पता चलेगा कि कौन सा देश या स्थान कितना ज्यादा मीथेन गैस का उत्सर्जन कर रहा है. (फोटोःगेटी)
मीथेनसैट (MethaneSAT) मिशन के को-लीडर स्टीवन हैम्बर्ग ने कहा कि यह एक अलग प्रकार का मिशन है. स्पेसएक्स (SpaceX) ने हमारी रिक्वेस्ट स्वीकार की है. साथ ही उसने इस मिशन की सफल लॉन्चिंग का भरोसा भी दिलाया है. वर्तमान समय में पूरी दुनिया में स्पेसएक्स (SpaceX) से ज्यादा भरोसेमंद लॉन्च पार्टनर कौन हो सकता है. (फोटोःईडीएफ)
मीथेनसैट (MethaneSAT) सैटेलाइट एनवॉयरॉनमेंटल डिफेंस फंड (Environmental Defense Fund - EDF) का अपना सैटेलाइट है. इस सैटेलाइट को बनाने की घोषणा इस संस्था ने अप्रैल 2018 में की थी. इस सैटेलाइट की मदद से हमें पता चलेगा कि दुनिया भर में कहां से कितना मीथेन निकल रहा है. चाहे वह गैस के कुएं हों, ज्वालामुखी हो या इंसानों द्वारा उत्सर्जित मीथेन ही क्यों न हो. (फोटोःगेटी)
इस सैटेलाइट के आधार पर एक ग्लोबल रिपोर्ट तैयार हो सकेगी कि कौन सा देश सबसे ज्यादा मीथेन गैस निकालता है. इसके बाद कोई देश एक-दूसरे के ऊपर ज्याद मीथेन गैस उत्सर्जन का आरोप नहीं लगा पाएंगे. इसकी मदद से पूरी दुनिया को हाईरेजोल्यूशन इमेज, सटीक डेटा भी मिलेगा. ताकि हर देश इसके हिसाब से अपने यहां मीथेन गैस का उत्सर्जन कम कर सके. (फोटोःईडीएफ)
EDF के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट मार्क ब्राउनस्टीन ने कहा कि इस सैटेलाइट की मदद से क्लाइमेट चेंज को रोका जा सकेगा. जिन इलाकों की पर्यावरणीय स्थिति खराब हो रही है या खराब है उन्हें संभालने का प्रयास शुरू किया जा सकेगा. ग्लोबल वार्मिंग को रोकने में मदद मिलेगी. मीथेनसैट (MethaneSAT) दुनिया में पारदर्शिता लाने के लिए बनाया गया है. (फोटोःगेटी)