शरीफ ने आगे बताया कि एक महीने के बाद शंभू मार्केट न्यू टेलर के यहां का सिला हुआ कपड़ा थानाध्यक्ष लेकर आया. उस पर लिखा था पीरु टेलर, शंभू मार्केट, रिकाबगंज. हमें बुलाया गया तो मैंने देखा कि वह मेरे बेटे की है. जब एक महीने के बाद मुझे होश आया, तब मैंने कसम खाई की फैजाबाद में न हिंदू, न मुसलमान, सब इंसान हैं. हम किसी की मिट्टी लावारिस में नहीं फेंकने देंगे. 27 बरस हो गए, 300 हिंदू भाई और ढाई हजार मुसलमानों को अब तक हमने सुपुर्द-ए-खाक किया है.