scorecardresearch
 
Advertisement
ट्रेंडिंग

900 साल पहले महीनों गायब था चांद, अब पता चला गुमशुदगी का कारण

900 साल पहले महीनों तक गायब था चांद, अब पता चला गुमशुदगी का कारण
  • 1/10
आपने कहानियों में सुना होगा कि चांद गायब हो गया. कई रातों तक दिखा नहीं. लेकिन ऐसा हकीकत में भी एक बार हुआ है. जब धरती से कई महीनों तक चांद दिखाई नहीं दिया था. ये बात करीब 910 साल पुरानी है. लेकिन ऐसा क्यों हुआ था, वैज्ञानिक अब इसका कारण खोज पाए हैं. वह भी सालों के गहन और कठिन खोजबीन के बाद. आइए जानते हैं कि आखिर क्यों महीनों तक गायब था चांद? (फोटोः AFP)
900 साल पहले महीनों तक गायब था चांद, अब पता चला गुमशुदगी का कारण
  • 2/10
910 साल पहले कई महीनों तक धरती पर सिर्फ रात थी. दिन की रोशनी तो पता चलती थी, लेकिन रात होते ही चांद नहीं दिखता था. रात और काली दिखती थी. ऐसा हुआ था धरती की वजह से. इस बात ने भी वैज्ञानिकों को काफी हैरान किया था. (फोटोः NASA)
900 साल पहले महीनों तक गायब था चांद, अब पता चला गुमशुदगी का कारण
  • 3/10
स्विट्जरलैंड के यूनिवर्सिटी ऑफ जेनेवा के वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि आखिर ऐसा हुआ क्यों था? पता चला कि 1104 में आइसलैंड के ज्वालामुखी हेकला में भयानक विस्फोट हुआ. इसके बाद उसमें लगातार छोटे-छोटे विस्फोट होते रहे. इसकी रिपोर्ट साइंस मैगजीन नेचर में भी प्रकाशित हुई है.
Advertisement
900 साल पहले महीनों तक गायब था चांद, अब पता चला गुमशुदगी का कारण
  • 4/10
ज्वालामुखी हेकला के इन विस्फोटों से भारी मात्रा में सल्फर गैस और राख निकली. जो सर्दियों की वजह से हवा में तेजी घुलती चली गई. धीरे-धीरे चार साल में इसने धरती के स्ट्रैटोस्फीयर को ढंक लिया. फिर क्या था, पूरी धरती में चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा. (फोटोः NASA)
900 साल पहले महीनों तक गायब था चांद, अब पता चला गुमशुदगी का कारण
  • 5/10
1108 से 1113 तक धरती के ऊपर कई महीनों तक दिन में थोड़ी रोशनी तो पता चलती थी. लेकिन रात और काली हो जाती थी. धरती के किसी भी कोने से चांद नहीं दिखता था. इसका अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिकों को काफी मेहनत करनी पड़ी है. (फोटोः NASA)
900 साल पहले महीनों तक गायब था चांद, अब पता चला गुमशुदगी का कारण
  • 6/10
चांद के न दिखने का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों को अंटार्कटिका, ग्रीनलैंड और कुछ अन्य स्थानों में जमीन और समुद्र के नीचे जमी बर्फ की परतों और मिट्टी की जांच करनी पड़ी. बर्फ की परतों की जांच में उस समय से जमा सल्फर के कण मिले. (फोटोः AFP)
900 साल पहले महीनों तक गायब था चांद, अब पता चला गुमशुदगी का कारण
  • 7/10
अब जानते हैं कि आखिरकार ये हेकला ज्वालामुखी क्या है. हेकला ज्वालामुखी को नरक का द्वार कहा जाता है. इसकी वजह से ही पूरी दुनिया में सल्फर के कणों की एक परत बनी थी. जिसके सबूत आज भी मिलते हैं.
900 साल पहले महीनों तक गायब था चांद, अब पता चला गुमशुदगी का कारण
  • 8/10
हेकला ज्वालामुखी आइसलैंड के दक्षिण में स्थित है. यह आइसलैंड के कुछ सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है. सन 874 से अब तक यह करीब 20 बार भयावह तौर पर फट चुका है. आखिरी बार यह 26 फरवरी 2000 में फटा था.
900 साल पहले महीनों तक गायब था चांद, अब पता चला गुमशुदगी का कारण
  • 9/10
यह ज्वालामुखी आमतौर पर बर्फ से ढंका रहता है. इसकी ऊंचाई 4882 फीट है. हेकला ज्वालामुखी बहुत लंबे ज्वालामुखीय जमीन पर बना है. यानी इसके नीचे लावे से भरा 5.5 किलोमीटर लंब रिज है. या यूं कहें कि एक लंबी घाटी है. घाटी की सतह से गहराई 4 किलोमीटर है. इसमें सिर्फ लावा भरा है.
Advertisement
900 साल पहले महीनों तक गायब था चांद, अब पता चला गुमशुदगी का कारण
  • 10/10
1104 में जब यह फटा था तो कुछ ही दिनों में इसकी राख ने आधे आइसलैंड को कवर कर लिया था. यानी 55 हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में सिर्फ राख ही राख थी. इसके लावे और मैग्मा से आसपास के गांव जैसे थे जलकर खाक हो गए. या फिर उनके ऊपर राख जमा हो गई.
Advertisement
Advertisement