एक पायलट कोरोना वायरस से इतना अधिक बीमार हो गया कि उसे करीब 4 महीने हॉस्पिटल में रहना पड़ा. इस दौरान 2 महीने से अधिक वक्त तक वह गंभीर हालत में था और उसे लाइफ सपोर्ट पर रखा गया. लेकिन 42 साल के ब्रिटिश पायलट के ठीक हो जाने को अब वियतनाम की सफलता के तौर पर देखा जा रहा है. (फोटो- AP)
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, चीन के पास होने के बावजूद वियतनाम में अब तक कोरोना वायरस से एक भी मौत नहीं हुई है. 9.5 करोड़ की आबादी वाले वियतनाम में अब तक कोरोना के सिर्फ 372 मामले दर्ज किए गए हैं. इसी वजह से लंबे चले इलाज के बाद जब 42 साल के पायलट स्टीफन कैमरन घर लौट गए तो इसे वियतनाम की सफलता कहा गया.
स्टीफन कैमरन को कोरोना का सबसे बीमार मरीज भी कहा जाने लगा था. हो ची मिन्ह शहर के हॉस्पिटल में उनका इलाज किया गया. 11 जुलाई को उन्हें हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई. उनके ठीक हो जाने की खबर को वियतनाम में बड़े पैमाने पर अखबारों और टीवी पर दिखाया गया.
स्टीफन वियतनाम एयरलाइंस के पायलट हैं. मार्च में बीमार पड़ने के बाद उन्हें डॉक्टरों ने मरीज-91 नाम दिया था और उनका ये नाम देशभर में चर्चा में आ गया.
18 मार्च को पॉजिटिव आने के कुछ ही दिन बाद उनकी हालत बेहद खराब हो गई थी. उन्हें करीब ढाई महीने तक इंड्यूस्ड कोमा में रखा गया. एक वक्त ऐसा भी था जब उनके फेफड़े सिर्फ 10 फीसदी काम कर रहे थे और किडनी भी साथ नहीं दे रही थी.
पहली बार मई में मरीज-91 में डॉक्टरों को सुधार दिखाई दिया. इलाज के दौरान उनका वजन 20 किलो घट गया. चो रे हॉस्पिटल के उप प्रमुख त्रान थान्ह लिन्ह ने कहा कि बहुत मेहनत और ऊर्जा खर्च करने का परिणाम है कि स्टीफन की जिंदगी बच गई.
स्टीफन ने वियतनाम के डॉक्टरों और लोगों को धन्यवाद देते हुए कहा कि वे अगर दुनिया में किसी और जगह पर होते तो मर चुके होते. स्टीफन ने कहा- 'मैं सबसे अधिक शुक्रगुजार उन डॉक्टरों का हूं जो नहीं चाहते थे कि मैं मर जाऊं.'