म्यांमार में तख्तापलट होने और सत्ता सेना के अपने हाथों में लेने के बाद वहां जगह-जगह इसके खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. 70 अस्पताल और मेडिकल डिपार्टमेंट के लोगों ने काम करना बंद कर दिया है. म्यांमार के 30 शहरों में सेना के इस कार्रवाई का विरोध हो रहा है.
म्यांमार में सेना के खिलाफ लोगों के ऐसे ही विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे एक संगठन ने फेसबुक पर इसकी जानकारी दी है. संगठन की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि सेना ने तख्तापलट करके, अपने स्वयं के हितों को एक कमजोर आबादी के ऊपर थोपा है जो महामारी के दौरान पहले से ही कठिनाइयों का सामना कर रही थी.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा है कि "हम नाजायज सैन्य शासन के किसी भी आदेश का पालन करने से इनकार करते हैं. सेना का हमारे गरीब मरीजों के लिए कोई सम्मान नहीं है."
बता दें कि म्यांमार की सेना ने बीते साल (2020) नवंबर महीने में देश में हुए आम चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए चुनी हुई सरकार का तख्तापलट कर दिया और सत्ता पर कब्जा कर लिया. इसके फौरन बाद वहां की प्रमुख नेता आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन म्यिंट को सेना ने हिरासत में लेते हुए एक साल के लिए इमरजेंसी का ऐलान कर दिया. लोग सेना के इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन ना कर सकें इसलिए पूरे देश में सैनिकों की तैनाती कर दी गई है. अब म्यांमार में सत्ता सेना के कमांडर-इन-चीफ मिन आंग ह्लाइंग के पास चली गई है.
बीते दिनों म्यामार की सड़कों पर सिर्फ सेना और पुलिस की गाड़ियों का ही मूवमेंट दिखा. म्यांमार में सेना ने कुछ ऐसे लोगों को भी हिरासत में लिया है जो सेना की इस कार्रवाई का विरोध कर रहे थे और सर्वोच्च नेता आंग सान सू की रिहाई की मांग कर रहे थे. वहीं म्यांमार के सेना प्रमुख मिन आंग ह्लाइंग ने सेना द्वारा नियंत्रित टीवी चैनल के माध्यम से कहा है कि देश को अस्थिर होने से बचाने के लिए ये फैसला लिया गया है और जैसे ही सबकुछ सामान्य हो जाएगा वो निष्पक्ष तरीके से चुनाव कराकर सत्ता चुनी हुई सरकार को सौंप देंगे.