स्वच्छ नर्मदा सबकी जिम्मेदारी का संदेश लेकर नासिक से आए 12 सदस्यीय बुजुर्गों का दल सोमवार को ओंकारेश्वर से मां नर्मदा की परिक्रमा के लिए 2000 किलोमीटर की यात्रा पर साइकिल से रवाना हुआ. दल में अधिकांश 60 से 70 साल की उम्र के सदस्य शामिल हैं. नर्मदा नदी मध्य प्रदेश की लाइफ लाइन कहलाती है.
(इनपुट- राजेश रजक)
यात्रा पर निकले बुजुर्गों का कहना है कि देश की अन्य प्रमुख नदियों की तुलना में वर्तमान में नर्मदा नदी में स्वच्छता बरकरार है. नर्मदा का हाल भी अन्य नदियों के समान न हो और नर्मदा सदा निर्मल व स्वच्छ बनी रही इस उद्देश्य से परिक्रमा शुरू की है.
बुजुर्गों ने 2000 किमी की यात्रा के दौरान साइकिल और पंक्चर सुधाने का सामान साथ रखा है. इसके अलावा फोम का बिस्तर, साइड बैग और आईकार्ड भी हैं. सभी के पास गियर वाली साइकिल है. बुजुर्गों का कहना है कि साइकिल यात्रा पर जाने के लिए एक से डेढ़ महीने तक रोज अभ्यास किया.
ये लोग रोज 90 से 100 किमी की यात्रा कर रहे हैं. रास्ते में लोगों को नर्मदा की स्वच्छता को लेकर जागरुकता संदेश दे रहे हैं. वहीं कोविड संक्रमण से निपटने के लिए साइकलिंग कर इम्युनिटी बढ़ाने का भी संदेश भी दिया जा रहा है.
सदस्यों ने बताया कि वे नासिक साइकलिस्ट फाउंडेशन के सदस्य हैं. उनके क्लब में दो हजार से अधिक सदस्य हैं. इसमें बच्चे, युवा व बुजुर्ग शामिल हैं. उनके क्लब के बुजुर्ग सदस्य भी प्रतिदिन 80 से 100 किमी साइकिल चलाते हैं. हाल ही में क्लब के युवा सदस्य ओम महाजन ने श्रीनगर से कन्याकुमारी तक की साइकिल यात्रा आठ दिन सात घंटे व 40 मिनट में पूरी की है.