इससे पहले अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने विक्रम के बारे में सूचना देने की उम्मीद जताई थी, क्योंकि उसका लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर (एलआरओ) उसी स्थान के ऊपर से गुजरने वाला था, जिस स्थान पर भारतीय लैंडर विक्रम के गिरने की संभावना जताई गई थी. नासा ने इससे पहले कहा था कि उसका एलआरओ 17 सितंबर को विक्रम की लैंडिंग साइट से गुजरा था और उस क्षेत्र की हाई रिजोल्यूशन तस्वीरें पाई थीं.
पहले नासा के लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर कैमरा (एलआरओसी) की टीम को लैंडर की
स्थिति या तस्वीर नहीं मिल सकी थी. उस दौरान नासा ने कहा था कि जब लैंडिंग
क्षेत्र से हमारा ऑर्बिटर गुजरा तो वहां धुंधलका था और इसलिए छाया में
अधिकांश भाग छिप गया. संभव है कि विक्रम लैंडर परछाई में छिपा हुआ है.
एलआरओ जब अक्टूबर में वहां से गुजरेगा, तब वहां प्रकाश अनुकूल होगा और एक
बार फिर लैंडर की स्थिति या तस्वीर लेने की कोशिश की जाएगी. (यह फोटो नासा ने 27 सितंबर को लिया था जिसमें विक्रम लैंडर के बारे में सही जानकारी नहीं मिल पाई थी. Photo: NASA)