चंपावत जिले के सूत्रों के मुताबिक लकड़ी के इन बाड़ों को लगाने के लिए करीब 45 लाख रुपए खर्च किए गए थे. जब मेयर सुरेद्र बिष्ट से पूछा गया कि आप कैसे ये दावा कर सकते हैं तो उन्होंने कहा कि जिस हिस्से में बाड़ लगाई गई थी, वह नो मैंस लैंड (No Man's Land) है.