देश में हर साल एक लाख से अधिक लोगों की सड़क दुर्घटना में मौत होती है. वहीं, हजारों लोगों की मौत शराब पीकर गाड़ी चलाने से होने वाले सड़क हादसों में होती है लेकिन देश के दो राज्य ऐसे भी हैं जहां शराब पीकर गाड़ी चलाने से एक्सीडेंट का एक भी मामला नहीं है. वर्ष 2019 के दौरान बिहार और लक्षद्वीप में एक भी ऐसा मामला सामने नहीं आया है. जबकि अन्य राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों में ऐसी घटनाएं हुई हैं.
बीते तीन वर्षों की स्थिति को लेकर ये रिपोर्ट केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने सदन में पेश की है. इसके अनुसार 2017 से लेकर 2019 के अंत तक केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में शराब पीकर वाहन चलाने से होने वाली एक भी घटना दर्ज नहीं हुई है. जबकि बिहार में 2018 को छोड़ दें तो 2017 व 2019 में एक भी ऐसा मामला सामने नहीं आया है. साल 2018 में जरूर बिहार में शराब पीकर गाड़ी चलाने से 10 एक्सीडेंट हुए थे.
मंत्रालय के अनुसार देश में शराब पीकर गाड़ी चलाने से 2017 में 14071, 2018 में 12018 और 2019 में 12256 रोड एक्सीडेंट के मामले देखने को मिले हैं. हालांकि इन तीनों वर्षों की तुलना में सबसे बड़ी राहत यह भी है कि दुर्घटनाओं का आंकड़ा लगातार घट रहा है. मंत्रालय से ही जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि नेशनल हाइवे पर शराब पीकर वाहन चलाने की घटनाएं अक्सर देखने को मिलती हैं. चूंकि बिहार में शराब पर प्रतिबंध भी है.
बिहार में 5300 किलोमीटर से अधिक नेशनल हाइवे गुजरता है. देश के नौ प्रदेशों में बिहार व लक्षद्वीप से कई गुना अधिक रोड एक्सीडेंट हुए हैं. रिपोर्ट के अनुसार 2019 में शराब पीकर गाड़ी चलाते समय असम में 279, हरियाणा में 299, झारखंड में 686, मध्यप्रदेश में 1030, ओडिशा में 1068, पंजाब में 1290, तमिलनाडु में 1047 और यूपी में 4496 एक्सीडेंट के मामले सामने आए हैं.
गुजरात में भी शराब बंद, लेकिन वहां केस ज्यादाः बिहार में कम रोड एक्सीडेंट के पीछे शराब पर प्रतिबंध होने का हवाला दिया जा रहा है. ऐसे में एक सवाल यह भी है कि गुजरात में शराब पर प्रतिबंध होने के बाद भी वहां 2019 में 47 रोड एक्सीडेंट के केस दर्ज किए गए. जबकि 2018 में 106 और 2017 में 65 केस देखे गए थे.
उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा दुर्घटनाएंः रिपोर्ट के अनुसार 2019 के दौरान सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं उत्तर प्रदेश में दर्ज की गई हैं. जहां शराब पीकर वाहन चलाने से भीषण हादसे तक हुए हैं. यहां 2019 में 4496 मामले दर्ज किए गए. इसके बाद दूसरे स्थान पर पंजाब है जहां पूरे वर्ष में 1290 घटनाएं देखने को मिलीं.
पश्चिम बंगाल में हाइवे लंबा, फिर भी केस कमः मंत्रालय के अनुसार बिहार के बाद पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा 3600 किलोमीटर लंबे नेशनल हाइवे गुजरते हैं. बावजूद इसके यहां रोड एक्सीडेंट की आठ घटनाएं दर्ज हुई हैं. जबकि 2018 में यहां 79 और 2017 में 16 रोड एक्सीडेंट हुए थे.