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तीन पीढ़‍ियों से पी रहे दूष‍ित जल, नदी में रोज गड्ढे बनाकर न‍िकालते हैं ऐसे पानी

तीन पीढ़‍ियों से पी रहे दूष‍ित पानी
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जल ही जीवन है, ये तो हमेशा से सुना ही है लेकिन छत्तीसगढ़ में बलरामपुर जिले के पास एक ऐसा गांव है जो पानी के लिए संघर्ष कर रहा है और साल भर दूषित पानी को मजबूर है. सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो ये है कि गांव वाले जिस नदी से पानी पीते हैं उसी में मवेशी और जंगली जानवर भी प्यास बुझाते है.
 

तीन पीढ़‍ियों से पी रहे दूष‍ित पानी
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प्रशासन विकास के लाख दावे क्यों न कर ले पर इस गांव की ये तस्वीर सारी हकीकत बयां करती है. बलरामपुर के वाड्रफनगर विकासखण्ड के चर्चरी गांव के आगरिया पारा में 40 से 50 लोगों की आबादी है. इनके पास पानी के लिए एक मात्र सहारा गांव से बहने वाली नदी है.
 

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लेकिन इस नदी से भी मिलता है तो सिर्फ दूषित पानी. गांव वाले नदी में रोज गड्ढे बनाकर पानी निकालते हैं और उसी को पीते हैं. इस दूषित पानी से छोटे बच्चे अक्सर बीमार भी पड़ जाते हैं लेकिन गांव वाले मजबूर हैं क्योंकि पानी के लिए उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है.

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गांव वालों का कहना है कि नेता बस वोट मांगने आते हैं इसके बाद सब भूल जाते हैं. प्रशासन सिर्फ खोखले वादे करता है. कुछ लोगों ने बताया कि उनकी तीन पीढ़ियां इस दूषित नदी के पानी को ही पीते आ रही हैं. कई सरकारें आईं और चली गई लेकिन इस गांव को साफ पानी के लिए एक हैंडपंप या कुआं नसीब नहीं हुआ.

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पंचायत सीईओ वेद प्रकाश पांडे का कहना है कि हमें इस बात की जानकारी नहीं थी कि गांव वाले नदी का पानी पी रहे हैं. उनको जल्द ही साफ पानी के लिए सामुदायिक हैंडपम्प या कुआं लगवा दिया जायेगा.

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वहीं गांव वालों का कहना है कि सीईओ साहब का यह दावा कागजों तक ही रह जाएगा. हम नदी का पानी पी-पी कर ही बूढ़े हुए हैं. बरसात में नदी का पानी लाल हो जाता है, हम उसी से नहाते हैं, उसी को पीते हैं. हम जिस नदी से पानी पीते हैं , जानवर भी वहीं से पानी पीते हैं. शासन-प्रशासन सिर्फ चुनावों के वक्त ही आता है.

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