भारत जहां बढ़ती आबादी और घटते संसाधनों के चलते जूझ रहा है वहीं दक्षिण कोरिया में एक ऐसा द्वीप है जहां सिर्फ 100 लोग रह गए हैं और इस द्वीप पर महज तीन बच्चे रहते हैं. साउथ कोरिया की बूढ़ी होती आबादी और बेहद तेजी से घटती जन्मदर के चलते इस द्वीप पर ऐसे हालात उत्पन्न हुए हैं.
इन बच्चों में ल्यू-चान ही और उसकी दो बहनें हैं. ल्यू-चान ही ने रॉयटर्स के साथ बातचीत में कहा था कि मुझे काफी अच्छा लगता अगर यहां और भी बच्चे होते क्योंकि इससे मुझे खेलने के काफी सारे ऑप्शन उपलब्ध हो सकते थे. आसपास और कोई बच्चे नहीं रहते हैं इसलिए मुझे 66 साल के किम सी-यंग के साथ खेलना पड़ता है.
बता दें कि पिछले कई दशकों से दक्षिण कोरिया में जबरदस्त शहरीकरण देखने को मिला है. इसके चलते इस देश के कई इलाकों में काफी कम लोग रह गए हैं. अगर बात नोकोडो द्वीप की करें तो यहां अब सिर्फ 100 ही लोग रहते हैं. इस द्वीप पर मौजूद एकमात्र स्कूल डेढ़ दशक पहले ही बंद हो चुका है और इन बच्चों को एक अस्थाई स्कूल में पढ़ाई करनी पड़ती है.
ये द्वीप एक दौर में फिशिंग के लिए काफी मशहूर हुआ करता था. किम कहते हैं कि मैं इस जगह को बचाना चाहता हूं लेकिन यहां लगातार घटती आबादी से मुझे बेहद चिंता होती है. साउथ कोरिया की राजधानी सियोल की तरह यहां किसी तरह का प्रदूषण नहीं है लेकिन अकेलेपन के चलते कई लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
गौरतलब है कि दक्षिण कोरिया दुनिया की सबसे तेजी से बूढ़ी होती आबादी वाले देशों में काफी ऊपर है. इसके अलावा इस देश में जन्मदर भी बेहद कम है. साल 2020 में इस देश की जनसंख्या उसकी सामान्य जनसंख्या से भी कम हो गई थी.कई लोगों को डर है कि अगर दक्षिण कोरिया की आबादी यूं ही कम होती रही तो नोकोडो द्वीप पूरी तरह से खत्म हो जाएगा और यहां कोई भी रहने के लिए नहीं बचेगा.
कोरिया इकोनॉमिक रिसर्च इंस्टीट्यूट के एक रिसर्चर ने रॉयटर्स के साथ बातचीत में कहा था कि साउथ कोरिया में घटी आबादी के चलते कई छोटे-छोटे शहर और कस्बे पूरी तरह से खत्म होने के खतरे से जूझ रहे हैं. यहां जन्मदर और मृत्यदर में जबरदस्त गैप के चलते हालात काफी खराब हो रहे हैं.
दक्षिण कोरिया में साल 1970 में प्रजनन दर 4.5 थी जो 2020 में घटकर 0.8 रह चुकी है. 1970 के दौर में इस देश में इकोनॉमी बूम पर थी और कई महिलाएं भी प्रोफेशनल कार्यों का हिस्सा बनने लगी थीं. इसके बाद से ही साउथ कोरिया में फैमिली प्लानिंग को लेकर कई कैंपेन देखने को मिले थे. इसके अलावा बढ़ती महंगाई और कोरोना वायरस ने भी लोगों को बच्चे पैदा करने को लेकर हतोहत्साहित किया है.